उत्‍तर प्रदेश (UP) के 16 हजार से ज्‍यादा डॉक्‍टरों ने 7वें वेतन आयोग के तहत ‘नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता’ (Non Practising Allowance) देने की मांग की है. उनकी एसोसिएशन प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ, UP (PMS, UP) ने राज्‍य सरकार को इस संबंध में डिमांड लेटर सौंपा है. उनकी यह भी मांग है कि यूपी में नए सरकारी अस्‍पताल खोलने से पहले मौजूदा अस्‍पतालों का 100% इस्‍तेमाल सुनिश्चित किया जाए. सरकार नए अस्‍पताल खोल रही है लेकिन मौजूदा अस्‍पतालों की स्थिति सुधारने पर ध्‍यान नहीं दे रही है.

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क्‍या होता है NPA

पीएमएसए के अध्‍यक्ष डॉ. अशोक यादव ने बताया कि नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस (NPA) देशभर के डॉक्‍टरों को मिल रहा है. लेकिन यूपी सरकार ने 7वां वेतनमान लागू करने के बाद इसे 13000 हजार रुपए पर फ्रीज कर दिया, जो डॉक्‍टरों के साथ अन्‍याय है. यूपी में डॉक्‍टर देश के अन्‍य राज्‍यों के मुकाबले सबसे ज्‍यादा लंबी ड्यूटी करते हैं. हमें छठे वेतनमान में 25 प्रतिशत एनपीए मिलता था. लेकिन 1 जनवरी 2016 से इसे फ्रीज कर दिया गया. 

27 हजार रुपए का नुकसान

मसलन अगर किसी डॉक्‍टर की सैलरी दो लाख रुपए है तो उसे मात्र 13,000 रुपए एनपीए मिलता है जबकि 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर 20% एनपीए मिलना चाहिए. यानि उसे 40 हजार रुपए एनपीए मिलना चाहिए. केंद्र सरकार ने इस सिफारिश को मान लिया था और लागू कर दिया. लेकिन राज्‍य सरकार ने इसे लागू नहीं किया. इस तरह हर डॉक्‍टर को हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है. महाराष्‍ट्र में डॉक्‍टरों को 35 प्रतिशत एनपीए‍ मिलता है. 

सरकार ने दिया आश्‍वासन

संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पाण्डेय से इस बाबत मिल चुका है. उन्‍हें संघ ने डिमांड लेटर भी सौंपा है. डॉ. यादव ने बताया कि मुख्य सचिव ने इस मांग का जल्द समाधान करने, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को इस बारे में प्रभावी कार्यवाही करने और जल्द ही ऐसे सभी लम्बित मामलों की समीक्षा करने का आश्वासन दिया है.

वीआरएस भी मांगा

डॉ. यादव ने कहा कि प्रान्तीय चिकित्सा सेवा से जुड़े चिकित्सक कम वेतन में बेतहाशा काम कर रहे हैं. नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता नहीं मिलने से उनमें गहरा असंतोष है. इसके अलावा चिकित्सकों से विकल्प लिए बिना उनकी रिटायर आयु भी मनमाने ढंग से बढ़ाई जा रही है. उन्हें स्वैच्छिक रिटायरमेंट (VRS) का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है.