YEAR ENDER 2018: इस साल कई बदलावों से गुजरी बायोमीट्रिक पहचान प्रणाली Aadhaar
आधार की संवैधानिक मान्यता के बारे में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले और अन्य घटनाक्रमों के बाद 2019 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार कार्ड को अधिक व्यावहारिक और उपयोगी बनाने की दिशा में काम करेगा.
भारत के हर नागरिक को विशिष्ट पहचान प्रदान करने वाला आधार नये साल में बड़े बदलावों के लिए तैयार है. आने वाले वर्ष में इसके ऑफलाइन पुष्टिकरण की सुविधा गति पकड़ेगी और नये बैंक खातों और मोबाइल कनेक्शन के लिए 12 अंकों की अनूठी पहचान संख्या अनिवार्य नहीं रह जाएगी. इस साल आधार की संवैधानिक मान्यता के बारे में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले और अन्य घटनाक्रमों के बाद 2019 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार कार्ड को अधिक व्यावहारिक और उपयोगी बनाने की दिशा में काम करेगा.
इसके तहत ई-आधार और क्यूआर कोड जैसे माध्यमों से आधार को ऑफलाइन इस्तेमाल की तरफ ले जाने पर जोर रहेगा. ऐसे माध्यमों में आधार कार्ड धारकों को अपनी बॉयोमीट्रिक पहचान जाहिर करने की जरूरत नहीं होगी. इन प्रक्रियाओं के इस साल गति पकड़ने की संभावना है.
हर जगह जरूरी होने लगा आधार
स्कूल में नामांकन, विवाह के प्रमाणपत्र, कर के भुगतान से लेकर नये मोबाइल कनेक्शन लेने तक में आधार की जरूरत पड़ने लगी और यह किसी व्यक्ति की पहचान के लिए सबसे पहली पसंद बन गया. हालांकि यह 1.22 करोड़ आधार कार्डधारकों के लिए तब तक सही रहा जब तक कि यह संदेह पैदा नहीं हुआ कि साधारण सेवाओं के लिए भी आधार का इस्तेमाल लोगों की निजता में दखल देने वाला है. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने बॉयोमीट्रिक आधारित विश्व के सबसे बड़े डाटाबेस को संवैधानिक मान्यता तो दे दी लेकिन इसकी अनिवार्यता को नये सिरे से परिभाषित किया.
अदालत का फैसला
शीर्ष अदालत ने चार के मुकाबले एक मत से अपने फैसले में कहा कि आधार आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन नंबर आवंटित करने के लिए अनिवार्य बना रहेगा. हालांकि, दूरसंचार एवं अन्य क्षेत्र की निजी कंपनियों को लोगों की बॉयोमीट्रिक जानकारी की पुष्टि के लिए दी गयी अनुमति को अदालत ने निरस्त कर दिया. इससे विभिन्न सेवाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाये जाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को झटका लगा.
कंपनियां ढूंढने लगीं अन्य विकल्प
इस ऐतिहासिक फैसले के बाद बैंक, दूरसंचार कंपनियां और वित्तीय प्रौद्योगिकी जैसी कंपनियां ग्राहकों की पहचान की पुष्टि के लिए एक बार फिर से अन्य विकल्प ढूंढने में लग गयीं. ये कंपनियां आधार ई-केवाईसी पर बहुत अधिक निर्भर होने लगी थी. इसके तुरंत बाद यूआईडीएआई क्यूआर (क्विक रेस्पांस) कोड और ई-आधार जैसे अन्य विकल्प लेकर आया.
(इनपुट एजेंसी से)