देश के प्रमुख औद्योगिक घराने महिंद्रा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने एक रहस्य से पर्दा उठाया है. उन्होंने बताया कि आजादी के बाद जब भारत की प्रमुख आटोमोबाइल्स कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के नाम को बदलने की जरूरत पड़ी, तो संचालकों द्वारा कंपनी का नाम महिंद्रा एंड मोहम्मद से बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा करने का प्रमुख कारण उनका मितव्ययी होना था. 

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उन्होंने ये भी बताया कि महिंद्रा एंड महिंद्रा की स्थापना दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन हुई थी, और इसके पीछे भी एक खास संयोग है.

नाम बदलने की वजह

कंपनी का नाम पहले महिंद्रा एंड मोहम्मद था. कंपनी के एक पार्टनर मलिक गुलाम मोहम्मद थे, जो आजादी के बाद 1947 पाकिस्तान चले गए और वहां पहले वित्त मंत्री बने. इसके बाद कंपनी का नाम बदलना जरूरी था. 

आनंद मंहिद्रा ने बताया, 'कहानी ये है कि 'एमएंडएम' के नाम से बहुत अधिक मात्रा में स्टेशनरी छप चुकी थी. चूंकि दोनों भाई (जेसी और केसी महिंद्रा) ये पैसा बर्बाद करना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने कंपनी का नाम 'महिंद्रा एंड महिंद्रा' कर दिया. ये भारत की एक अच्छी किफायती सोच थी.'

यानी एमएंडएम नाम से छप चुकी स्टेशनरी बेकार न हो, इसके लिए उन्होंने कंपनी के नाम में ऐसे बदलाव किया कि उसका संक्षिप्त नाम एमएंडएम ही बना रहा. 

गांधी जयंती के दिन स्थापना दिवस 

उन्होंने बताया कि दो अक्टूबर 1945 के दिन महिंद्रा समूह की पहली कंपनी महिंद्रा एंड मोहम्मद को पंजीकरण प्रमाणपत्र मिला था. ये महज एक संयोग था कि महात्मा गांधी के जन्मदिन के दिन ही ये प्रमाण पत्र मिला. इस दिन ही कंपनी अपना स्थापना दिवस मनाती है. 

उन्होंने ट्वीटर पर कंपनी के वास्तविक पंजीकरण प्रमाणपत्र की तस्वीर को शेयर किया. इसके साथ ही उन्होंने कंपनी के पहले विज्ञापन को भी शेयर किया, जिसमें कंपनी प्रोडक्ट और सेवाओं के बारे में बहुत कम और कंपनी के सिद्धान्तों के बारे में अधिक बताया गया था. उन्होंने इस विज्ञापन के बारे में कहा, 'ये एक विजनरी डॉक्युमेंट हैं, जो हमें आज भी फैसले लेने के दौरान हमारा मार्गदर्शन करता है.'