चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष में ले जाने वाले GSLV MkIII-M1 को 'बाहुबली रॉकेट' क्यों कहते हैं? जानिए
चंद्रयान-2 को सबसे चर्चित मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय-एम1) से लॉन्च किया गया. इसे इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट माना जाता है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च कर दिया है. आज दोपहर ठीक 2.43 मिनट पर इसकी लॉन्चिंग की गई. चंद्रयान-2 को सबसे चर्चित मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय-एम1) से लॉन्च किया गया. इसे इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट माना जाता है. इसरो ने इसे 'बाहुबली' का नाम दिया है. यह 44 मीटर लंबे और लगभग 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है. इस रॉकेट का फिल्म बाहुबली के मुख्य किरदार से ही लिया गया है.
इसलिए दिया बाहुबली नाम
दरअसल, बाहुबली फिल्म में जैसे नायक विशाल और भारी शिवलिंग को उठाता है, उसी तरह रॉकेट भी 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को उठाकर अंतरिक्ष में ले गया. उड़ान के लगभग 16वें मिनट में ही 375 करोड़ रुपये के जीएसएलवी-मार्क तृतीय रॉकेट ने 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 विमान को अपनी 170 गुणा 39,120 किलोमीटर लंबी कक्षा में उतार दिया. इसरो अब तक तीन जीएसएलवी-एमके तृतीय भेज चुका है. जीएसएलवी-एमके तृतीय का उपयोग 2022 में भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन में भी किया जाएगा.
पृथ्वी के चक्कर लगाएगा चंद्रयान
चंद्रयान-2 समय पर चंद्रमा की सतह पर उतरे इसके लिए वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बताया की चंद्रयान-2 के समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय कार्यक्रम के हिसाब से काम कर सकें. चंद्रयान 7 दिन की देरी से उड़ान भर रहा है और फिर भी यह तय समय पर ही चंद्रमा पर उतरेगा. इसकी वजह के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा. पहले इसको पृथ्वी के 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा.
चांद पर क्या करेगा चंद्रयान
चंद्रयान-2 को चांद पर भेजने के पीछे का मकसद भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बड़ी उपलब्धि तो है ही साथ ही यह चंद्रयान-2 चंद्रमा की मिट्टी में खनिजों और रासायनिक तत्वों के मिश्रण का अध्ययन करेगा, चांद के दक्षिण ध्रूव पर पानी या बर्फ की खोज करेगा, उसके वातावरण का परीक्षण करेगा, चंद्र भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन करना और कैमरों से उसकी तस्वीरें भी लेगा. मिशन के वैज्ञानिक चन्द्रमा की सतह पर 15 महत्वपूर्ण परीक्षण करेंगे.
(इनपुट: IANS)