सुषमा स्वराज के निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है. न सिर्फ भारतीय बल्कि दूसरे मुल्कों के लोग भी उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. दुनियाभर से ट्वीट कर लोगों ने अपना अनुभव भी साझा किया. यह सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि, वो एक कद्दावर नेता थीं. बल्कि इसलिए क्योंकि, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वाज ने बेहतरीन काम किया. 

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विदेश में रहने वाले भारतियों उन पर भरोसा करते थे. इसका बड़ा कारण था, सुषमा का एक ट्वीट पर मदद पहुंचाना. पिछली सरकार में सुषमा स्वराज सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव नेताओं में शुमार थीं. सोशल मीडिया के जरिए लोगों से सीधा संपर्क बनाने के अलावा उन्होंने भारतीयों को मदद तक पहुंचाई.

जब सुषमा ने मंगल पर भी मदद भेजने का वादा किया

किरण सैनी नाम की एक महिला ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर कहा- मैं मंगल पर फंस गई हूं. मेरे पास खाना भी नहीं है. ऐसे में आपका मंगलयान- 2 कब आ रहा है. इस पर सुषमा स्वराज ने रिप्लाई किया था कि अगर आप मंगल पर फंस जाएंगे तो भी भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा. सुषमा स्वराज का यह ट्वीट उस वक्त वायरल हो गया. इस ट्वीट में सुषमा स्वराज ने ISRO को भी टैग किया था. उनके निधन पर एक बार फिर उनका यह ट्वीट सामने आया है.

कुलभूषण जाधव को फांसी से बचाया

पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में भी सुषमा स्वराज की भूमिका बहुत बड़ी रही. उन्होंने ही जाधव के केस को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (ICJ) तक पहुंचाने का काम किया. सुषमा के कहने पर ही वकील हरीश साल्वे ने मात्र एक रुपए की फीस में केस लड़ा और जीते भी. कुलभूषण जाधव की फांसी पर ICJ ने रोक लगा दी और भारतीय काउंसलर को एक्सिस देने का भी आदेश दिया.

मसूद अजहर को आतंकी घोषित कराया

सुषमा स्‍वराज ने विदेश मंत्री का काम संभालने के बाद से ही पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्‍ट्रीय आतंकी घोषित कराने के प्रयास शुरू कर दिए थे. उनके प्रयासों के चलते ही चीन के विरोध के बावजूद 1 मई, 2019 को मसूद को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्‍ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया.

4000 भारतियों को निकाला

यमन में जब हूथी विद्रोहियों और सरकार के बीच जंग छिड़ी थी तो हजारों भारतीय वहां फंसे थे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वर्ष 2015 में सऊदी अरब की मदद से यमन में फंसे 4000 से ज्‍यादा भारतीयों व विदेशियों को निकालने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन राहत' शुरू किया था.

गीता को लाने में अहम भूमिका

11 साल की उम्र में रास्ता भूल कर बॉर्डर के उस पार पाकिस्‍तान पहुंची मूक-बधिर भारतीय लड़की गीता को सुषमा स्‍वराज की कोशिशों के कारण ही भारत वापस लाया जा सका. गीता भारत आने के बाद सबसे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज से मिली.