Wheat and paddy buffer stock:  में गेहूं और धान की कोई किल्लत नहीं है.अक्टूबर की शुरुआत में गेहूं का सरकारी भंडारण बफर स्केल से 11 प्रतिशत ज्यादा होकर 227.46 लाख टन पर पहुंच गया. खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. भाषा की खबर के मुताबिक, हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों में रखे गए गेहूं (Wheat) की मात्रा पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है. 

1 अक्टूबर तक धान का भंडार

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खबर के मुताबिक, गेहूं की उपज में गिरावट आने से सरकारी खरीद 57 प्रतिशत तक कम रहने और निजी कारोबारियों की खरीद ज्यादा रहने से एफसीआई के गेहूं भंडार में गिरावट आई है. वहीं धान (paddy) का भंडार 1 अक्टूबर तक (paddy buffer stock in India 1 October 2022) 283.9 लाख टन हो गया जो बफर भंडारण के निर्धारित मानक के दोगुने से भी ज्यादा है.

बफर भंडार के क्या हैं नियम

खबर के मुताबिक, निर्धारित मानकों के मुताबिक, सरकार को अपने बफर भंडार में 205.2 लाख टन गेहूं और 102.5 लाख टन धान का स्टॉक (Wheat buffer stock in India) 1 अक्टूबर तक रखना होता है. खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गेहूं का भंडार अब सुविधाजनक स्तर पर पहुंच गया है. हालांकि, फसल मार्केटिंग ईयर 2022-23 में गेहूं की सरकारी खरीद (government procurement of wheat) भारी गिरावट के साथ 187.92 लाख टन ही रही है. यह एक साल पहले के 433.44 लाख टन की तुलना में 57 प्रतिशत से ज्यादा कम है. 

सरकार ने एक्सपोर्ट पर लगा दिया था बैन

सरकारी खरीद में आई इस तेज गिरावट के लिए निजी कारोबारियों द्वारा बड़े पैमाने पर की गई खरीद जिम्मेदार रही है. इसके अलावा गेहूं की पैदावार भी इस साल तीन प्रतिशत कम रही है. गेहूं की सरकारी खरीद में गिरावट आने से सरकार ने इस खाद्यान्न के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी.

घरेलू स्तर पर गेहूं की उपलब्धता बनाए रखने और बढ़ती कीमत पर काबू पाने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया था. गेहूं की नई फसल के लिए बुवाई की शुरुआत होने वाली है. अगले कुछ दिनों में रबी सत्र की फसलों की बुवाई जोर पकड़ने वाली है जिसमें गेहूं एक प्रमुख फसल होगी.