मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के आने के बाद से ही गाड़ी से होने वाले पॅाल्यूशन को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही है. ऐसे में PUC सर्टिफिकेट यानि कि पॅाल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट को गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है. इसका उद्देश्य बढ़ते एयर पॅाल्यूशन को कंट्रोल करना है. PUC देते समय ये देखा जाता है कि कोई गाड़ी तय किए गए स्टैंडर्ड से ज्यादा पॅाल्यूशन तो नहीं कर रही. गाड़ी का पूरा पॅाल्यूशन टेस्ट होने के बाद ही PUC सर्टिफिकेट दिया जाता है. नई गाड़ी लेने पर PUC सर्टिफिकेट गाड़ी को खरीदते समय ही दिया जाता है. जो एक साल तक के लिए वैलिड होता है. एक साल के बाद आपको फिर से गाड़ी का PUC टेस्ट कराना होगा. जिसके बाद आपको नया सर्टिफिकेट मिल जाएगा. इसकी वैलिडिटी 3-6 महीने होती है. PUC सर्टिफिकेट के लिए सिर्फ 60-100 रुपये की फीस ही देनी होती है. इसकी खास बात ये है कि हर राज्य का PUC सर्टिफिकेट दूसरे राज्य में वैलिड माना जाता है. PUC सर्टिफिकेट के नहीं होने पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. 

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कैसे मिलेगा PUC सर्टिफिकेट

PUC सर्टिफिकेट के लिए आपको पेट्रोल पंप जाना होगा. देश के हर राज्य में हर पेट्रोल पंप पर पॅाल्यूशन चेक सेंटर स्थित है. ये सभी सेंटर उस राज्य के ही ट्रांसपोर्ट विभाग से ऑथॅाराइज्ड होते है. आपके PUC सर्टिफिकेट पर सीरियल नंबर होगा. इसके साथ ही गाड़ी की लाइसेंस प्लेट का नंबर, जिस दिन गाड़ी का टेस्ट कराया गया हो वो तारीख होती है. PUC सर्टिफिकेट पर इसके एक्सपायर होने की तारीख के साथ टेस्ट में किया गया निरीक्षण का ब्योरा भी होता है. 

 

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कैसे होता है पॅाल्यूशन टेस्ट

पॅाल्यूशन टेस्ट करने के लिए सेंटर पर एक गैस एनलाइजर  होता है. ये एनलाइजर  एक कम्प्यूटर से लिंक होता है. जिससे एक कैमरा और प्रिंटर भी जुड़े होते हैं. टेस्ट के लिए सबसे पहले गैस एनलाइजर  को गाड़ी के साइलेंसर में डालते है. फिर जब तक एनलाइजर पॅाल्यूशन की जांच करके कम्प्यूटर पर आंकड़े अपडेट नहीं कर देता तब तक गाड़ी को स्टार्ट रखते हैं. इस बीच कैमरा गाड़ी के नंबर प्लेट का फोटो लेता है. और अगर गाड़ी से तय स्टैंडर्ड पर पॅाल्यूशन निकलता है तो PUC सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है. PUC सर्टिफिकेट के लिए टेस्ट का तरीका पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के लिए अलग-अलग है. पेट्रोल पर चलने वाली गाड़ियों के लिए बिना एक्सेलेटर दबाए एक बार में रीडिंग ली जाती है. और वहीं डीजल गाड़ियों के लिए एक्सेलेटर को पूरी तरह दबा कर रखते है. ऐसा लगभग पांच बार तक किया जाता है. फिर गाड़ी से निकलने वाले धुएं से एक एवरेज निकाल कर रीडिंग ली जाती है.