वर्सेटाइल एक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी के मशहूर बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान (Irrfan Khan) नहीं रहे. उन्होंने 54 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. साल 2018 से इरफान ट्यूमर और आंतों के इन्फेक्शन से जूझ रहे थे. हालांकि, इरफान ने इलाज के लिए लंदन में काफी वक्त गुजारा था. लेकिन, बुधवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली. इरफान खान ने अपने फैन्स को ट्वीट कर खुद जानकारी दी थी कि वो न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (Neuroendocrine Tumor) से पीड़ित हैं. मेडिकल साइंस में इसे काफी खतरनाक माना जाता है. आइये समझते हैं कि आखिर क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और कितनी खतरनाक है.

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क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर?

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (Neuroendocrine Tumor) को दुर्लभ बताया जाता है. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हार्मोन्स बनाने वाली ग्रांथियों से संबंधित कैंसर होता है. अधिकांश न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर फेफड़े, अपेन्डिक्स, छोटी आंत, रेक्टम और अग्नाशय में होते हैं.  लेकिन यह बिना कैंसर के भी हो सकते हैं. ये बिना कैंसर के हो सकते हैं या घातक भी हो सकते हैं. 

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क्या होते हैं इसके लक्षण?

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर में कुछ खास तरह के लक्षण नजर आते हैं. हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत के साथ, एंग्जाइटी अटैक, बुखार, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, मितली, उल्टी, दिल की धड़कनों का अनियंत्रित तरीके से धड़कना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसके अलावा ट्यूमर से पीड़ित रोगी को पेट दर्द, पीलिया, गैस्ट्रिक अल्सर, आंतों में दिक्कत और वजन में कमी जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं.

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क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज?

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (Neuroendocrine Tumor) एक बेहद दुर्लभ बीमारी है. समय रहते अगर पता लग जाए तो इसका इलाज करना संभव होता है. डॉक्टर इस बीमारी का इलाज सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी या फिर कीमियोथेरेपी की मदद से करते हैं. न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर बाकी ट्यूमर्स की तुलना में बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है. जो शरीर में एमिनो एसिड्स बनाने का काम करते हैं. यही वजह है कि रोगी के शरीर में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के लक्षण नजर आने लगते हैं. 

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जानलेवा है बीमारी

ट्यूमर शरीर में मौजूद सेल्स का हिस्सा होता है. ये कंट्रोल से बाहर होकर बढ़ते-बढ़ते मांस के लोथड़े में इकट्ठा होने लगता है. अगर इसका शुरुआती स्तर पर पता चल जाए तो काबू में आ सकता है. अगर पकड़ में नहीं आता तो तेजी से बढ़कर शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैसलने का खतरा होता है. खास बात यह है कि समय पर पता नहीं चलने से ही यह कैंसर का रूप लेती है.