Ghost Jobs: क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है कि आपने किसी जॉब के लिए अप्लाई किया और फिर जवाब का इंतजार करते-करते महीनों बीत गए? या फिर ऐसा भी हो सकता है कि आप इसे खुद की नियती मानकर थक-हार कर नौकरी के बारे में भूल ही गए हों. लेकिन हो सकता है, आप भी किसी असल नहीं "Ghost Jobs" का शिकार हो गए हों! जी हां, ये नौकरी की वे विज्ञापन होते हैं जिनके पीछे छिपा है कंपनियों का एक काला सच! लाखों नौकरियों के खुले विज्ञापन के बीच में क्या कंपनियों में भर्तियां बंद हैं? क्या ये कंपनियां हमें सपनों का मायाजाल दिखा रही हैं या अपनी आर्थिक स्थिरता का ढोंग कर रही हैं? आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ.

क्या होते हैं घोस्ट जॉब्स?

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सबसे पहले समझते हैं कि घोस्ट जॉब्स होते क्या हैं. दरअसल "घोस्ट जॉब्स" उन नौकरी विज्ञापनों को कहते हैं, जिन्हें कंपनियां जारी तो करती हैं, लेकिन वास्तव में उन पदों को भरने का कंपनी का कोई इरादा नहीं होता. यानी ये नौकरियां सिर्फ दिखावे के लिए पोस्ट की जाती हैं. अब आप पूछेंगे कि जब भर्ती का इरादा ही नहीं तो फिर कंपनियां नौकरियों का ऐलान करती क्यों है. दरअसल यहीं पर है घोस्ट जॉब्स के पीछे के छिपे हुए इरादे का मायाजाल. 

क्यों निकालती हैं कंपनियां घोष्ट जॉब्स?

कई बार कंपनियां जानबूझकर ऐसे पोस्ट कई कारणों से निकालती हैं. इनमें एक वजह होती है भविष्य की भर्तियों के लिए संभावित उम्मीदवारों की तलाश करना. कई बार कंपनियां नौकरियों का ऐलान करके जॉब मार्केट का मूड भी भांपती हैं. लेकिन कई बार कुछ कंपनियां अपनी आर्थिक स्थिति का झूठा प्रदर्शन करने के लिए भी ऐसा करती हैं. कई बार छंटनी करके अपनी छवि खराब कर चुकी कंपनियां झूठे नौकरी के विज्ञापन निकालकर ये दिखाने की कोशिश करती हैं कि कंपनी की स्थिति अब ठीक हो गई है. 

कई बार कंपनियां अपनी रेटिंग में सुधार के लिए अच्छा रिक्रूटर होने का दिखावा करने के लिए ऐसा करती हैं. और यहांतक की कई बार अपने मौजूदा कर्मचारियों को असुरक्षित महसूस कराने के लिए भी झूठी जॉब ओपनिंग्स दिखाई जाती हैं. कारण जो भी हो.. ये बेहद खराब प्रैक्टिस जॉब मार्केट और नौकरी तलाशने वालों के लिए भ्रम और निराशा का कारण बनती जा रही है.

घोष्ट जॉब्स के नुकसान

इसका असर ये होता है कि "घोस्ट जॉब्स" नौकरी बाजार में मौजूद असल नौकरियों की संख्या को आर्टीफिशियल तौर पर बढ़ा देते हैं, जिससे बाजार की सच्चाई छिप जाती है. कई बार असली नौकरी खोजने वालों के लिए ये "घोस्ट जॉब्स" भ्रम पैदा करते हैं, जिससे उन्हें सही अवसरों से दूर होना पड़ता है. नौकरी के लिए लगातार आवेदन करने और फिर कोई जवाब न मिलने से उम्मीदवारों की उम्मीदें टूट जाती हैं. लगातार असफलता का सामना करने से मानसिक तनाव और निराशा बढ़ सकती है. उम्मीदवार अपना समय और मेहनत ऐसी नौकरियों पर व्यर्थ कर देते हैं, जो असल में हैं ही नहीं.

जानकार मानते हैं कि ज्यादातर IT, retail, quick commerce, कुछ msme और फंडिंग की early stage में कुछ startups इस तरह की भर्तियां निकालते हैं. बड़ी कंपनियों में इसे खराब प्रैक्टिस के तौर पर देखा जाता है इसलिए वहां स्थिति इतनी खराब नहीं है. लेकिन नौकरी तलाशने वालों को अब चाहिए कि वो हर नौकरी के विज्ञापन को सावधानी से देखें और सिर्फ भरोसेमंद स्रोतों से ही आवेदन करें. जॉब पोस्टिंग प्लैटफॉर्म, जॉब मैनेजर, जॉब डिटेल्स और तारीख वगैरह की बारीकी से पड़ताल करें. दूसरी तरफ सरकारी स्तर पर पॉलिसी मेकर्स को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए "घोस्ट जॉब्स" के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की भी जरूरत है, ताकि नौकरी बाजार में पारदर्शिता बनी रहे.