हाल ही में लोकसभा में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Digital Personal Data Protection Bill) पास हो गया है. जब से यह बिल चर्चा में आया है, तभी से लोगों के बीच में कई तरह के कनफ्यूजन हैं कि आखिर यह बिल क्या है और इससे क्या होगा? लोग यह भी सोच रहे हैं कि इससे उन्हें फायदा होगा या यह उनके ऊपर एक जिम्मेदारी जैसा हो जाएगा? इस बिल में नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम 50 करोड़ रुपये और अधिकतम 250 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान है. बता दें कि इससे पिछले बिल में यह 500 करोड़ रुपये था. इससे भी लोग कनफ्यूज हो रहे हैं. आइए समझते हैं क्या है डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल और इससे आपको क्या फायदा होगा.

क्या है डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल?

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यह बिल डिजिटल तरीके से लोगों के पर्सनल डेटा को सुरक्षित यानी प्रोटेक्ट करने के लिए लाया गया है. इस कानून के लागू हो जाने के बाद लोग अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी मांग सकेंगे. यानी उन्हें इसका अधिकार मिल जाएगा. कंपनियों को भी यह बताना होगा कि वह कौन सा डेटा ले रहे हैं और उस डेटा का कहां पर इस्तेमाल किया जा रहा है. पिछले कुछ सालों में देखा गया कि कई कंपनियां लोगों के पर्सनल डेटा को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही थीं, जिसके चलते इस बिल को लाया गया है.

क्या होता है डिजिटल पर्सनल डेटा?

आपका वह सारा डेटा जो आप ऑनलाइन देते हैं, वह डिजिटल पर्सनल डेटा होता है. डिजिटल पर्सनल डेटा समझने के लिए हम एक उदाहरण की मदद ले सकते हैं. जब भी आप अपने मोबाइल में कोई ऐप इंस्टॉल करते हैं तो उसके लिए आपको कई तरह की इजाजत देनी पड़ती हैं. इसके तहत आपको कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट और जीपीएस जैसी चीजों के एक्सेस देने होते हैं. इसके बाद उस ऐप के पास आपसे जुड़ा बहुत सार पर्सनल डेटा पहुंच जाता है. बशर्ते उन्हें पता होता है कि आपके कॉन्टैक्ट्स में किस-किस के नंबर हैं, आपके फोन में कौन सी फोटो और वीडियो हैं. यहां तक कि जीपीएस की मदद से वह आपके मूवमेंट को भी ट्रैक कर सकते हैं. कई बार देखा गया है कि कुछ ऐप लोगों के पर्सनल डेटा को अपने सर्वर पर अपलोड कर लेते हैं और फिर उसे दूसरी कंपनियों को बेच देते हैं. हमें यह जानकारी ही नहीं होती है कि हमारा डेटा कहां-कहां इस्तेमाल हो रहा है. इस बिल के जरिए इसी तरह के पर्सनल डेटा को प्रोटेक्शन मिलेगी.

मौजूदा वक्त में क्या है कानून?

बता दें अभी देश में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो लोगों के पर्सनल डेटा को सुरक्षित रख सके. जब से देश में मोबाइल और इंटरनेट का चलन तेजी से बढ़ा है, तभी से इस तरह के कानून की बात होनी शुरू हो गई थी. वहीं पिछले कुछ सालों में डेटा चोरी होने की कुछ घटनाएं सामने आई हैं. कई दूसरे देशों में डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून भी तैयार किए जा चुके हैं. अब जो बिल पास हुआ है, वह कंपनियों की जवाबदेही तय करेगा, जिसके बाद वह अपने मन से कहीं भी ग्राहकों का डेटा इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी.

हाल ही में पास हुए बिल के तहत मिलेगी क्या सुविधाएं

  • डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के तहत जो भी कंपनियां यूजर डेटा का इस्तेमाल करती हैं और डेटा को स्टोर करने के लिए किसी थर्ड पार्टी डेटा प्रोसेसर का इस्तेमाल करती हैं, तो उन्हें लोगों के डेटा को सुरक्षित रखना होगा. 
  • अगर कोई शख्स डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड के फैसले को लेकर अपील करना चाहता है तो उसे टेलिकॉम डिस्प्यूट्स सैटेलमेंट और अपीलेट ट्रिब्यूनल द्वारा सुना जाएगा.
  • हर कंपनी एक डेटा सिक्योरिटी अधिकारी भी नियुक्त करना होगा. इसके बारे में कंपनी को अपने यूजर्स को जानकारी भी देनी होगी.
  • अगर कोई डेटा उल्लंघन का मामला आता है तो इसके बारे में कंपनियों को सबसे पहले डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और यूजर्स को इसकी जानकारी देनी होगी.
  • अगर कोई कंपनी किसी बच्चे या फिर किसी दूसरे अक्षम व्यक्ति का डेटा स्टोर कर रही है तो उसे स्टोर करने के लिए उनके अभिभावक की सहमति लेनी जरूरी होगी.
  • अगर कभी जरूरत महसूस होती है तो डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड उन लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकता है, जो तमाम लोगों के पर्सनल डेटा के साथ काम करते हैं.
  • अगर किसी के पर्सनल डेटा को लेकर कोई फ्रॉड या नियम का उल्लंघन हुआ है तो डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ही पेनाल्टी का फैसला लेगा.
  • कोई भी कंपनी यूजर्स के निजी डेटा को भारत के बाहर किसी दूसरे देश में स्टोर नहीं कर सकेंगे. यानी यूजर्स का डेटा अब भारत में ही स्टोर किया जाएगा.
  • अगर किसी कंपनी ने दो बार से अधिक डेटा प्रोटेक्शन बिल का उल्लंघन किया तो डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड उस कंपनी को ब्लॉक भी कर सकती है. 
  • डेटा ब्रीच करने की पैनाल्टी कम से कम 50 करोड़ रुपये और अधिक से अधिक 250 करोड़ रुपये हो सकती है.