देश के विभिन्न इलाकों खासतौर से उत्तर भारत में हो रही बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से गेहूं, सरसों और चना जैसी रबी फसलों को नुकसान हो सकता है. पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में बेमौसम बरसारत और ओलावृष्टि हुर्ह है. स्काइमेट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बर्फबारी हुई. उत्तराखंड और लद्दाख में भी कुछ स्थानों पर बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई है. जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में कई स्थानों पर हिमपात होने के आसार हैं. पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तेज हवाओं के साथ बारिश होगी.

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उत्तर प्रदेश में तेज बारिश और ओले से फसलों को नुकसान के आसार हैं. मेरठ, सहारनपुर, लखनऊ, कानपुर, बहराइच, गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, रायबरेली और बरेली सहित कई जिलों में बारिश होगी. मध्य प्रदेश के उत्तरी और पूर्वी जिलों में बारिश होने की संभावना है.

दक्षिण हरियाणा में गुरुवार को ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत आने वाले भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि बेमौसम बरसात और तेज हवा चलने से गेहूं की खड़ी फसल गिर जाएगी, जिससे फसल की पैदावार पर असर पड़ेगा.

उन्होंने बताया कि अब तक सिर्फ हरियाणा से गेहूं की फसल को नुकसान की रिपोर्ट मिल रही है, लेकिन फसल पक चुकी है इसलिए जहां कहीं भी इस समय ओलावृष्टि होगी या तेज हवा के कारण खड़ी फसल खेतों में गिर जाएगी वहां नुकसान जरूर होगा.

हरियाणा सरकार में संयुक्त निदेशक जगराज दांडी ने बताया कि गेहूं से ज्यादा सरसों की फसल को नुकसान है. उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, रोहतक समेत कई जिलों में गेहूं और सरसों की फसल खराब होने की रिपोर्ट मिल रही है.

उधर, किसान संगठनों ने हरियाणा सरकार से प्रदेश में ओलावृष्टि और बरसात से फसल को हुए नुकसान की गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा देने की मांग की है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक चना और सरसों को गेहूं से ज्यादा नुकसान हुआ है.

एक अन्य कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि इस समय चना और सरसों की फसल पूरी तरह पककर तैयार है, बल्कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चने की फसल तैयार होकर बाजार में आने लगी है. उन्होंने कहा कि सरसों की फसल को तो बेमौसम बरसात से भारी नुकसान होगा, वहीं चना की फसल पर भी असर पड़ेगा.

ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि गेहूं ओलावृष्टि और तेज हवा के कारण गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है, हालांकि फिलहाल ज्यादा नुकसान की रिपोर्ट नहीं है और उनको अभी भी उम्मीद है कि इस देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होगा.

बता दें कि पिछले महीने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी फसल वर्ष 2019-20 के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में गेहूं का रिकॉर्ड 10.62 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, चना का उत्पादन 112.2 लाख टन और सरसों का 91.10 लाख टन होने का अनुमान है.