प्री-मॉनसून में भी कम बारिश, कृषि उत्पादन पर होगा असर
SkyMet Weather ने कहा कि देश में मॉनसून से पूर्व होने वाली बारिश 65 सालों में दूसरी बार इतनी कम दर्ज की गई है. तीन महीने की अवधि का मॉनसून से पहले का सीजन- मार्च, अप्रैल और मई 25 प्रतिशत कम वर्षा के साथ समाप्त हुआ.
सोमवार की शाम से चली तेज हवाओं और मंगलवार को आसमान पर छाए हल्के बादलों ने भले ही दिल्ली-एनसीआर वासियों को तेज गर्मी से राहत दे दी हो, लेकिन ये राहत स्थाई नहीं है. मौसम वैज्ञानियों की मानें तो इस साल मॉनसून तो कमजोर रहेगी ही साथ ही प्री-मॉनसून में होगी वाली बारिश भी कम होगी. और कम बारिश का सीधा असर खेती-किसानी पर पड़ेगा क्योंकि, देश की करीब 50 फीसदी अनाज की खेती बारिश पर निर्भर है.
मौसम का पूर्वानुमान जताने वाली निजी संस्था स्काइमेट वेदर ने कहा कि देश में मॉनसून से पूर्व होने वाली बारिश 65 सालों में दूसरी बार इतनी कम दर्ज की गई है. तीन महीने की अवधि का मॉनसून से पहले का सीजन- मार्च, अप्रैल और मई 25 प्रतिशत कम वर्षा के साथ समाप्त हुआ.
स्काइमेट ने कहा कि सभी चार मौसमी मंडलों- उत्तर पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्व-पूर्वोत्तर भारत एवं दक्षिणी प्रायद्वीप में क्रमश: 30 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 14 प्रतिशत और 47 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई.
मॉनसून से पहले होने वाली बारिश देश के कई हिस्सों के लिए बहुत जरूरी होती है. ओडिशा जैसे राज्यों में खेतों की जुताई इसी दौरान की जाती है और पश्चिमोत्तर भारत एवं पश्चिमी घाटों में यह फसलों की रोपाई के लिए जरूरी होती है.
कृषि उत्पादन पर पड़ेगा असर
आईडीएफसी एएमसी के अर्थशास्त्री (फंड मैनेजमेंट) सृजित सुब्रमण्यम की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कमजोर मॉनसून की संभावना है, जिससे निजी उपभोग को धक्का लगेगा. हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति की कम संभावना है, क्योंकि भारत के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉनसूनी बारिश में किसी भी प्रकार की गंभीर गिरावट से कृषि उत्पादन और निजी खपत और खाद्य मुद्रास्फीति से अधिक असर पड़ेगा. मॉनसूनी बारिश के खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा स्टॉक रखना और आपूर्ति के उपाय करना है.
दक्षिण पश्चिम मॉनसून के बारिश का मौसम ग्रामीण भावना और उपभोग में तेजी लाने का महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि इसी अवधि में भारत में 70 फीसदी से अधिक बारिश होती है. यह खरीफ फसल की बुआई के मौसम के दौरान आता है.