रिपोर्ट : संदीप गुसाईं

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उत्‍तराखंड में किसानों को अपने उत्पादों का अब सही और ज्यादा दाम मिलना शुरू हो गया है. पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'राष्ट्रीय कृषि बाजार' से धीरे-धीरे किसान जुड़ने शुरू हो गए हैं. किसानों के उत्पादों को डिजिटल नीलामी से बेचने के मामले में उत्तराखंड पहले पायदान पर आ गया है.

उत्तराखंड पहले पायदान पर

राज्य की 23 मंडियों में सितारगंज मंडी करीब 8 करोड़ की ई-नीलामी से कृषि उत्पादों को बेच चुकी है. बेची गई सब्‍जी की रकम सीधे किसानों के खातों में जमा हो रही है. प्रदेश की 16 मंडी ई-नाम यानी नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट, जिसे राष्ट्रीय कृषि बाजार कहते हैं, से जुड चुकी हैं. राज्य में करीब 77 करोड़ का डिजिटल पेमेंट हुआ है. वर्तमान में देहरादून, हरिद्वार, विकासनगर, ऋषिकेश, रुद्रपुर, काशीपुर, बाजपुर, जसपुर, सितारगंज, खटीमा, नानकमत्ता, रुड़की, रामनगर और गदरपुर कृषि मंडी राष्ट्रीय कृषि बाजार से जुड़ चुके हैं.

क्या है राष्ट्रीय कृषि बाजार

देश में कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर खरीदने और बेचने के लिए 14 अप्रैल 2016 को पीएम मोदी ने 'वन नेशन वन मार्केट' की सोच के साथ राष्ट्रीय कृषि बाजार शुरू किया था. देश की करीब 5835 मंडियों को अब तक इससे जोड़ा जा चुका है और उत्तराखंड की 23 मंडियों में से 16 मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा चुका है. राजधानी देहरादून की कृषि उत्पादन मंडी को भी इससे जोड़ दिया गया है. 

देहरादून में बनी लैब

देहरादून मंडी में इसके लिए करीब 70 लाख की लागत से एक लैब तैयार की गई है, जिसमें किसानों के उत्पादों की जांच और उनके उत्पाद को आनलाइन नीलामी के लिए अपलोड किया जाता है. ई नीलामी से पहले किसानों को राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल में रजिस्ट्रेशन जरूरी है. साथ ही जो आढ़ती उनके उत्पादों को ई नीलामी से खरीदना चाहता है, उसका भी रजिस्ट्रेशन जरूरी है. इसमें मंडी के भीतर, राज्य के भीतर और देश के भीतर कोई भी व्यापारी नीलामी में भाग ले सकता है, जिससे किसान के उत्पाद को ज्यादा से ज्यादा मूल्य मिलता है. 

12 हजार किसान जुड़े

देहरादून मंडी में अब तक 12 हजार किसानों को जोड़ा जा चुका है और 23 लाख रुपए का डिजिटल पेमेंट भी हुआ है. कृषि मंडी समिति के सचिव ने बताया कि धीरे-धीरे किसानों को राष्ट्रीय कृषि बाजार के फायदे समझ में आ रहे हैं. भविष्य डिजिटल पेमेंट का है और इससे किसानों का सबसे ज्यादा फायदा है. उत्तराखंड में पर्वतीय इलाकों से सेब, पलम, नाशपाती, टमाटर, माल्टा, मटर सहित कई फल और सब्जियां काश्तकार पैदा करते हैं.