सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी को गाजियाबाद के रास्ते मेरठ से जोड़ने के लिए क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणाली (रैपिड ट्रांजिट) के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस पर 30,274 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को यहां हुई बैठक में यह फैसला किया गया. सरकार ने कहा कि द्रुत गति के हरित सार्वजनिक परिवहन के जरिये 82 किलोमीटर की दूरी 60 मिनट से भी कम समय में पूरी की जा सकेगी.

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बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मंत्रिमंडल ने क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणाली (RRTS) के निर्माण को मंजूरी दे दी है. यह 82.15 किलोमीटर की होगी. इस 82.15 किलोमीटर में से 68.03 किलोमीटर का मार्ग पुल के रूप में खंभों पर होगा और शेष 14.12 किलेामीटर का रास्ता भूमिगत होगा. उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर 30,274 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. मेरठ और गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में हैं.

आरआरटीएस ट्रेन से प्रदूषण घटेगा और सड़क पर भीड़भाड़ घटेगी और एक लाख से अधिक निजी वाहन सड़क से हट सकेंगे. एक अधिकारी ने कहा कि इस द्रुत गति की परिवहन सुविधा से सामाजिक आर्थिक वृद्धि संतुलित हो सकेगी. आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और लोगों का जीवनस्तर सुधारा जा सकेगा.

अधिकारी ने कहा कि आरआरटीएस ढांचे पर मोदीपुरम से मेरठ दक्षिण स्टेशनों के बीच 18 किलोमीटर के मार्ग पर 12 स्टेशनों के जरिये मेट्रो सेवा से स्थानीय लोगों की परिवहन की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा. साथ ही इससे एक दक्ष क्षेत्रीय संपर्क उपलब्ध कराया जा सकेगा.

इस परियोजना को एक विशेष इकाई (एसपीवी) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के जरिये पूरा किया जाएगा. इस एसपीवी पर संयुक्त रूप से केंद्र और राज्य सरकारों का समान अनुपात में स्वामित्व होगा. एनसीआरटीसी ने बयान में कहा कि आरआरटीएस स्टेशन परिवहन के अन्य तरीकों मसलन हवाई अड्डे, रेलवे, मेट्रो और आईएसबीटी को एकीकृत करेगा.

बयान में कहा गया है कि पहले चरण में तीन प्राथमिकता वाले गलियारों का क्रियान्वयन किया जाना है. इनमें दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस पहला है. अन्य दो गलियारे दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर और दिल्ली-पानीपत हैं.