CBI के लिए एक बड़ी उपलब्धि के तहत ब्रिटिश सरकार ने सोमवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी. माल्या किंगफिशर एयरलाइन के 9,000 करोड़ रुपये के ऋण के लिए भारत में वांछित है. ब्रिटिश गृहमंत्री साजिद जाविद ने सोमवार को माल्या को प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसकी अनुमति लंदन की एक अदालत ने पहले ही दे दिया था. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि माल्या के पास अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ किसी ऊंची अदालत में अपील करने के लिए 15 दिनों का समय है.

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प्रेस अधिकारी बेथानी डिटजेल की तरफ से ब्रिटिश गृह विभाग के प्रवक्ता के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया है, "3 फरवरी को विदेश मंत्री ने सभी प्रासंगिक मामलों पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए विजय माल्या को भारत के लिए प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए." बयान में कहा गया है, "विजय माल्या भारत में धोखाधड़ी, झूठे अभ्यावेदन देने और धनशोधन के अपराधों की साजिश में संलिप्त है. उनके पास अपील करने के लिए आज से 14 दिनों का समय है."

ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत ने 10 दिसंबर के अपने फैसले में माल्या को प्रत्यर्पित करने के आदेश दिए थे. माल्या ने 9,000 करोड़ रुपये के ऋण की धोखाधड़ी के बाद 2 मार्च 2016 को भारत से भाग गया था. उसने यह कर्ज इस समय बंद हो चुकी अपनी कंपनी किंगफिशर के लिए लिया था.

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व वाले 13 बैंकों का एक संघ माल्या के खिलाफ ऋण वसूली कार्यवाही शुरू करने की तैयारी कर रहा है. माल्या के खिलाफ मुंबई की एक विशेष अदालत में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत सुनवाई जारी है. भारत ने 2017 के अंत में माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू की थी, जिसका उसने विरोध किया था. वह फिलहाल लंदन में जमानत पर बाहर है.