'आधार योजना चलाने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का सोशल मीडिया एजेंसी (SMA) का प्रस्‍ताव किसी निगरानी के लिए नहीं है. इसके जरिए महीने में सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले करोड़ों संदेशों में से एक लाख की निगरानी करना है ताकि जनशिकायत का हल निकल सके और कोई नीति बनाई जा सके.' सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरण की ओर से यही जवाब दाखिल किया जा सकता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया मंचों की निगरानी के लिए यूआईडीएआई का सोशल मीडिया एजेंसी की सेवा लेने के प्रस्ताव को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट का भी कहना है कि यह प्रस्‍ताव यूआईडीएआई के पूर्व के अभिवेदनों के विपरीत है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दो दिन पहले याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से तृणमूल कांग्रेस विधायक मोहुआ मोइत्रा द्वारा मुद्दे पर दायर याचिका पर सुनवाई में सहयोग करने के लिए भी कहा था.

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सुप्रीम कोर्ट ने जताया है ऐतराज

न्यायालय ने कहा था, 'यह (निगरानी) आधार मामले में सुनवाई के दौरान यूआईडीएआई द्वारा दिए गए अभिवेदनों के बिल्कुल विपरीत है.' इसने यह भी कहा कि यूआईडीएआई जो प्रस्तावित कर रहा है, वह उसके द्वारा आधार की वैधता के संबंध में दी गई दलील के विरुद्ध है. यूआईडीएआई ने आधार योजना की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत से कहा था कि वह आधार कार्ड धारक नागरिकों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर नहीं रखना चाहता.

सोशल मीडिया मंचों की निगरानी कैसे कर सकता है प्राधिकरण

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मोइत्रा ने याचिका में कहा कि यूआईडीएआई, इसके निविदा पत्र के अनुसार, सोशल मीडिया एजेंसी की सेवा मांग रहा है जो फेसबुक और टि्वटर जैसे मंचों पर आधार से संबंधित बातचीत पर नजर रखने के लिए ‘ऑनलाइन रेपुटेशन मैनेजमेंट’ और ‘सोशल लिस्निंग’ टूल की तैनाती करेगी. विधायक ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया निगरानी एजेंसी की सेवा लेने का कदम सोशल मीडिया मंचों पर निगरानी रखने पर केंद्रित है.