Twin Tower Demolition: 55000 टन मलबा बेचकर करोड़ों में होगी कमाई, इमारत में लगा था इतना स्टील
Twin Tower Demolition Latest News: सुपरटेक के ट्विन टावर को ध्वस्त करने के बाद यहां से निकले मलबे का वजन 55000 टन है, जिसे बेचकर करोड़ों में कमाई की जाएगी.
Twin Tower Demolition Latest News: कुतुब मीनार से भी ऊंची इमारत को रविवार (28 अगस्त) को 3700 किलोग्राम के बारूद के विस्फोट कर जमींदोज कर दिया गया. ये किस्सा अपने आप में ऐतिहासिक था, क्योंकि इससे पहले देश में इतने बड़े लेवल पर किसी इमारत को विस्फोट की मदद से उड़ाया गया हो. खैर, रविवार को वो दिन था, जब सबकी निगाहें ट्विन टावर (Twin Tower Demolition) पर थी और दोपहर ठीक 2.30 बजे इस इमारत को ढहा दिया गया. 32 और 31 फ्लोर वाले इन दोनों टावरों को गिराने के बाद यहां से 55000 टन मलबा निकला है, जिसमें 4000 टन सिर्फ स्टील का इस्तेमाल किया गया है. अब ये मलबा बेचकर भी करोड़ों में कमाई होगी.
मलबा बेचकर होगी कितनी कमाई?
बता दें कि सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को गिराए जाने में 20 करोड़ रुपए का खर्च आया है, जिसमें से सुपरटेक कंपनी ने 5 करोड़ रुपए अग्रिम तौर पर दिए हैं और बाकी 15 करोड़ रुपए ये 55000 टन मलबा बेचकर प्राप्त किए जाएंगे. इसमें 4000 टन स्टील भी होगा, जिसे मिलाकर मलबे का वजन 55000 टन होगा.
950 फ्लैट थे, इतने फ्लैट हुए थे बुक
बता दें कि नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार, 28 अगस्त को ठीक 2.30 बजे धमाका कर गिरा दिया गया. टावर गिराने के लिए जैसे ही बटन दबाया गया, वैसे ही टावर के अलग-अलग हिस्सों में जोरदार धमाके हुए और दोनों बिल्डिंग पलक झपकते धरती पर मलबे के ढेर में तब्दील हो गई.
सुपरटेक के ट्विन टावर में एपेक्स और सेयेन नाम के दो टावर थे. एपेक्स टावर में 32 फ्लोर थे और हर फ्लोर में 14 फ्लैट थे. इसके अलावा सेयेन टावर में 31 फ्लोर थे और हर फ्लोर में 14 फ्लैट थे. दोनों टावरों में कुल फ्लैट की संख्या 950 थी, जिसमें से 711 फ्लैट्स की बुकिंग हो चुकी थी.
नियमों का उल्लंघन करने की मिली सजा
गौरतलब है कि बिल्डर ने सुपरटेक एमाराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में निर्माण से जुड़े नियमों की अनदेखी की थी. जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्विन टावर्स को गिराने का आदेश दे दिया था. जिसके बाद सुपरटेक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज दिया था लेकिन बिल्डर को यहां से भी कोई राहत नहीं मिली थी.