Clean Energy: केंद्र सरकार क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. वहीं इसे लेकर एनर्जी कंजर्वेशन एक्ट 2001 में बदलाव की भी तैयारी की जा रही है. सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत के बाद उर्जा मंत्रालय इस कानून में बदलाव करेगा. प्रस्ताव में औद्योगिक यूनिट्स या किसी प्रतिष्ठान (establishment) ने पूरी खपत में रिन्यूबल एनर्जी के मिनिमम हिस्से के बारे में भी बताया गया है. वहीं कार्बन सेविंग सर्टिफिकेट के जरिए ग्रीन एनर्जी के स्रोतों को इस्तेमाल करने पर प्रोत्साहन भी दिया जाएगा.

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हाल ही में उर्जा मंत्री आर के सिंह ने प्रस्तावित कानून में बदलाव को लेकर समीक्षा की. उन्होंने इससे जुड़े मंत्रालय, विभाग और राज्य सरकार से सुझाव देने के लिए कहा है. वहीं इसे लेकर उर्जा मंत्रालय के सचिव आलोक कुमार ने इससे जुड़े मंत्रालय और संगठनों के साथ बैठक की जिससे प्रस्तावित संशोधन को अंतिम रूप दिया जा सके. 

स्टेकहोल्डर्स के साथ हुई मीटिंग 

कानून को डीटेल में रिव्यू करने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ 4 कंसल्टेशन मीटिंग की गई, जिसमें एक राष्ट्रीय कंसल्टेशन वर्कशॉप और तीन रीजनल कंसल्टेशन भी शामिल हैं. इसमें होने वाले बदलाव पर विस्तार के साथ चर्चा के साथ उनकी राय भी ली गई. इसमें प्रस्तावित बदलाव से देश में कार्बन मार्केट को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं सीधे तौर पर रिन्यूबल एनर्जी की न्यूनतम खपत या ग्रिड के द्वारा इनडायरेक्ट इस्तेमाल को निर्धारित किया जाएगा.

एनर्जी के साथ पर्यावरण पर भी ध्यान

उर्जा की बढ़ती जरूरतों और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए सरकार ये कदम उठा रही है. इसका मकसद इंड्रस्ट्री, बिल्डिंग्स और ट्रांसपोर्ट में रिन्यूबल एनर्जी को बढ़ावा देना है. इसमें ग्रीन एनर्जी के जरिए कार्बन क्रेडिट को बढ़ावा मिलेगा. उर्जा मंत्रालय ने कहा है कि बिजनेस के बदलते माहौल (landscape) में एनर्जी की मांग लाजमी है. वहीं पर्यावरण पर बिना और दबाव बढ़ाए इसकी जरूरत पूरी होनी चाहिए. ईसी एक्ट, 2001 में बदलाव के साथ संस्थानों को अधिकार मिलने से हम पेरिस कमिटमेंट को पूरा कर सकेंगे. वहीं समय पर NDCs (Nationally determined contributions) को भी लागू कर सकेंगे. 

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