Third BSG Sustainability Conclave: देशभर में गर्मी की शुरुआत हो चुकी है. चिलचिलाती गर्मी और रिकॉर्डतोड़ बढ़ता पारा सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है. इस बढ़ती गर्मी के पीछे तो कई वजहें हैं, लेकिन मुख्य तौर पर आसपास हो रहे पर्यावरण में परिवर्तन एक बड़े कारणों में से हैं. आज के तारीख में जलवायु परिवर्तन चर्चा का विषय बन गया है और इस परिस्थिति में हम एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं.

BSG सस्टेनेबल कॉन्क्लेव का तीसरा सीजन

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मुंबई में भारत सोका गोकोई (Bharat Soka Gakkai) ने 'BSG सस्टेनेबल कॉन्क्लेव' का अपना तीसरा संस्करण पूरा किया. इस मौके पर इंडस्ट्री और पर्यावरण क्षेत्र के कई दिग्गजों ने हिस्सा लिया और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर कई चर्चा की. 

BSG के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने कार्यक्रम के शुरुआती संबोधन में कहा की जलवायु परिवर्तन से संबंधित DATA यह दर्शाते हैं कि मौजूदा स्तिथि काफी चिंता जनक है. हालांकि, लोग पर्यावरण में होने वाले बदलाव को लेकर काफी गंभीर हैं और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की तरफ कदम उठा रहे हैं.

2050 तक बढ़ेगी खपत

कार्यक्रम में शामिल पार्टिसिपेंट्स और बाकी पैनलिस्ट की माने तो, साल 2050 तक दुनिया मौजूदा समय से इस्तेमाल किए जाने वाले संसाधनों का तीन गुना ज्यादा इस्तेमाल करेगी, जिनमे पावर, एनर्जी और मिनरल्स शामिल हैं.

पोंडमैन ऑफ इंडिया (Pondman of India) रामवीर तनवर का कहना है कि जब तक हम आम नागरिकों को एक साथ एक मंच पर नही लायेंगे, तब तक तक सस्टेनेबल एनवायरमेंट के मुकाम को हासिल करना मुश्किल होगा. 

ये विशिष्ट अतिथि रहे मौजूद

इस कॉन्क्लेव में कई दिग्गजों ने हिस्सा लिया जिनमे राधा गोयनका (निदेशक - आरपीजी फाउंडेशन और संस्थापक - पहले अक्षर, द हेरिटेज प्रोजेक्ट, आर्टिसन : रे और नेचर : रे); भूपेन्द्र मिश्रा (कार्यक्रम प्रबंधक, आगा खान एजेंसी फॉर हैबिटेट इंडिया, संस्थापक - द रेजिलिएंट फाउंडेशन और डिविजनल वार्डन, नागरिक सुरक्षा, महाराष्ट्र सरकार); और डॉ. प्रणब जे पातर (वरिष्ठ पर्यावरण एवं स्थिरता विशेषज्ञ) शामिल हुए. 

जलवायु सुधार के लिए करना होगा ये काम

डॉक्टर प्रणब पातर का कहना की पर्यावरण सुधार के लिए 3 मुद्दों पर सुधार करना बेहद जरूरी है.

CPR Combating Climate Change यानी जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना 

Preventing polloution मतलब प्रदूषण को रोकना

Restoring Ecosystem यानी परिस्थिति के अनुसार काम आनेवाले यंत्रों और तंत्रों को बहाल करना

दिग्गजों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर कही ये बात

भूपेंद्र मिश्रा ने कहा, "जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हर व्यक्ति का प्रयास प्रगति के सागर में बूंदों की तरह मायने रखता है."

संध्या नायडू जनार्दन ने कहा, "नए भविष्य को आकर देने में युवाओं और युवा वयस्कों को शामिल करने की आवश्यकता अब पहले से कही अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है. और जिस तरह की दुनिया में हम आज रह रहें हैं, उसमे बीएसजी के दर्शन और मूल्य प्रणाली सर्वाधिक प्रासंगिक है."

राधा गोयनका ने कहा, "हर बड़ी चीज़ छोटे से शुरू होती है. प्रकृति के प्रति सचेत रहना, पानी का संरक्षण करना या लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना-हर छोटी कार्रवाई एक बड़ा बदलाव लाती है."

कॉन्क्लेव के इस खास अवसर पर बीएसजी ने ‘सीड्स ऑफ होप एण्ड एक्शन : मेकिंग द एस डी जी ए रिएल्टी' नामक एक स्थिरता प्रदर्शनी का आयोजन भी किया.