सोना-चांदी खरीदना भारत में बेहद प्रचलित है. किसी भी बड़े मौके पर गिफ्ट में भी सोना दिया जाता है. कई लोग नहीं जानते कि सोने की कीमतें कैसे तय की जाती हैं या फिर कितना मूल्य सोने पर दिया जाता है. आइए जानते हैं सोने के भाव कैसे तय किए जाते हैं. 

इन मूल्यों पर किया जा सकता है मोलभाव 

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ज्वेलरी पर ज्यादातर 35 प्रतिशत तक मेकिंग चार्ज लगाया जाता है. ग्राहक इन चार्ज पर मोलभाव कर सकते हैं. ज्यादातर व्यापारी मेकिंग चार्ज के जरिए अच्छा-खासा मुनाफा भी कमाते हैं. इसमें हमेशा कटौती की गुंजाइश होती है. इसलिए इस पर मोल भाव किया जा सकता है. इसके अलावा ज्वेलरी की पेमेंट से पहले आप बिल में देख सकते हैं कौन-कौन से चार्ज आपके ऊपर लगाए जा रहे हैं. कई बार अतरिक्त चार्ज लगाए जाते हैं जिनकी जानकारी ग्राहक को ना होने के कारण ज्यादातर ग्राहक इस पर मोलभाव नहीं कर पाते हैं, और ऐसे में विक्रेता द्वारा  गुमराह किए जाने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं.

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बिल में सिर्फ 3 चीजों का करें भुगतान 

केंद्र सरकार के मुताबिक ग्राहक को ज्वेलरी पर केवल 3 तरह के शुल्क का ही भुगतान करना होता है. इनमें गहने के वजन के मुताबिक मूल्य, मेकिंग चार्ज और GST शामिल है. जीएसटी 3 फीसदी लिया जाता है. चाहे आप गहनों की खरीदारी ऑनलाइन करें या फिर ऑफलाइन आपको केवल 3 प्रतिशत जीएसटी ही देना होता है.

ऐसा होने पर करें शिकायत 

कई बार ज्वेलर्स किसी भी प्रकार का चार्ज लगाकर बिल बना देते हैं. ऐसे में आप ज्वेलर से खुल कर सवाल कर सकते हैं. साथ ही कई बार पॉलिश वेट या फिर लेबर चार्ज के नाम पर भी अतरिक्त मूल्य वसूला जाता है. ऐसा दिखने पर ना सिर्फ आप सवाल उठा सकते हैं बल्कि इस मामले की शिकायत भी कर सकते हैं.

इस बात का रखें विशेष ख्याल

 

जो ज्वेलरी बाजार में बेची जाती है वो 24 कैरट सोने से बनी नहीं होती है. बाजार में मौजूद ज्यादातर ज्वेलरी 18 या फिर 22 कैरट ही होती है. इसलिए खरीदारी करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस दिन सर्राफा बाजार में सोने का भाव क्या है. उसी के अनुसार आप रेट पर मोल भाव करें.