प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था, साथ ही पोंजी स्कीमों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी. सरकार अब 60000 से अधिक पोंजी स्कीमों को बंद कर चुकी है. लेकिन इसके बाद भी पोंजी स्कीम लगातार चल रही हैं. खुफिया विभाग की मानें तो इन पोंजी स्कीमों के द्वारा देश की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा है, क्योंकि इनमें निवेश किए जा रहे पैसे से आतंकवादियों की मदद की जा रही है.

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खुफिया एजेंसियों के इस शक की वजह है 500 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में मुंबई पुलिस के आर्थिक अपराध शाका के हत्थे चढ़ी एक बुर्कानशीन शातिर महिला. सूत्रों के मुताबिक 45 वर्षीय नोहरा शेख नामक की महिला 17 फर्जी कंपनियों की मालिक है, जिनका सालाना टर्नओवर तक़रीबन 1 हज़ार करोड़ रुपये बताया जा रहा है. इतना ही नहीं तक़रीबन 2 लाख लोगों ने बतौर निवेशक इसके झांसे में आकर इन कंपनियों में अपनी पूंजी निवेश की है. लेकिन इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि इस महिला ने अपनी साजिश को "हलाल स्कीम" का नाम देकर सिर्फ मुसलमान लोगों को अपनी कंपनी का निवेशक बनाया.

सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों का शक तब और भी गहरा गया जब नोहरा शेख और उसकी कंपनियों के पाकिस्तान और खाड़ी देशों से भी पैसों के लेन-देन की जानकारी सामने आई. आरोपों के मुताबिक नोहरा शेख ने निवेशकों को अंधेरे में रखते हुए ये बात हमेशा छिपाई कि आखिर उनका पैसा नोहरा शेख की कंपनी कहां निवेश कर रही है.

यह भी एक वजह है जिसके चलते जांच एजेंसियों को शक है कि पोंज़ी स्कीम के तहत कमाई रकम का कहीं गैरकानूनी कामों में इस्तेमाल तो नहीं किया. बहरहाल सूत्रों की अगर मानें तो ख़ुफ़िया एजेंसियों की एक टीम नोहरा शेख से पुलिस हिरासत में इस बारे में पूछताछ कर रही है. नोहरा शेख ने निवेशकों को 36 से 42 फीसदी रिटर्न का लालच दिया लेकिन, इस साल मई में शेख ने फंड के साथ हेरफेर शुरू कर दी. 

ये वही नोहरा शेख है जिसने शुरुवाती दिनों में तिरुपति के पास अपनी मां के साथ सब्ज़ी का ठेला लगाया और अमीर शख्सियत बनाने के बाद लड़कियों के लिए मदरसा खोला और अपनी एक राजनीतिक पार्टी भी लॉन्च की. बहरहाल इस मामले में अदालत में नोहरा शेख की अगली रिमांड पेशी 8 नवंबर को है.