Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को ठहराया कानूनी, कहा- सरकार का फैसला एकदम सही, जानिए डीटेल्स
SC on Demonetisation Case: नोटबंदी (Demonetisation) को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ 58 अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुना दिया है.
SC on Demonetisation Case: 6 साल पहले देश में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए लिया गया नोटबंदी का फैसला आज सही करार करार कर दिया गया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को लेकर अपना फैसला सुना दिया है और 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में बताया कि सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी का फैसला एकदम सही था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कदम की पुष्टि की है. कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास अधिकार है कि बैंक नोट से सम्बन्धी फ़ैसला ले सकती है. जस्टिस गवई ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार का फैसला एकदम सही था.
58 याचिकाएं हुई थीं दायर
बता दें कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे देश और देश की जनता के लिए एक बड़ा ऐलान किया था. केंद्र सरकार ने अचानक से देश के 500 और 1000 रुपए के नोट (500 & 1000 Rs Note) को बंद करने का फैसला लिया था. इसके बाद 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे के बाद देश में 500 और 1000 रुपए के नोट अमान्य हो गए थे और बैंकों में इन्हें वापस करने के लिए लंबी-लंबी लाइनों को लगा देखा था.
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संविधान पीठ ने कहा कि नोटबंदी से पहले सरकार ने आरबीआई (RBI) के साथ बातचीत की थी. इससे ये माना जा सकता है कि नोटबंदी अकेले सरकार का फैसला नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
याचिकार्ताओं ने रखी थी ये अपील
याचिकाकर्ताओं ने 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी को लेकर कहा कि सरकार ने बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए अचानक 500 और 1000 रुपए के नोट प्रचलन से बाहर कर दिए थे. हालांकि सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि ये टैक्स चोरी रोकने और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए लागू की गई सोची-समझी योजना थी.
बता दें कि फैसला सुरक्षित रखते समय कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटबंदी के फैसले से जुड़ी प्रक्रिया के दस्तावेज सौंपने को कहा था. नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 58 याचिकाएं दाखिल हुई थीं. संवैधानिक पीठ में जस्टिस नज़ीर, जस्टिस बी आर. गवई, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बी. वी नागरत्ना शामिल हैं.