मसालों में एथिलीन ऑक्साइड को रोकने के लिए बनाए गए सख्त नियम, एक्सपर्ट से समझें कैसे करता है ये असर
वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा कि मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला निर्यात की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.
भारत ने अपने यहां से निर्यात होने वाले मसालों में कैंसरकारी रसायन ETO (Ethylene oxide) के संदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह बात कही. भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों में ईटीओ अवशेषों की मौजूदगी के कारण सिंगापुर और हांगकांग में दो भारतीय मसाला ब्रांड के उत्पादों को वापस मंगाने की रिपोर्ट मिलने के बाद ये कदम उठाए गए.
वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला निर्यात की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं."
ETO से घबराने की आवश्यकता नहीं
नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर ग्रेप्स के डायरेक्टर डॉ कौशिक बनर्जी ने बताया कि ETO (Ethylene oxide) को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर मसाले के कंटेंट से रिएक्शन कर बने इन कंपोनेंट से कोई नुकसान नहीं होता है. खास बात ये है कि रूम टेंपरेचर में आने पर इसका असर अपने आप खत्म हो जाता है और रही-सही कसर भोजन पकाने के भारतीय तरीकों से खत्म हो जाता है.
निर्यात किए जाने वाले मसालों की टेस्टिंग अनिवार्य
बोर्ड ने इन दोनों देशों को भेजी जाने वाली ऐसी निर्यात खेपों का परीक्षण करना अनिवार्य कर दिया है. एक तकनीकी-वैज्ञानिक समिति ने मूल कारण विश्लेषण भी किया है, प्रसंस्करण सुविधाओं का निरीक्षण किया है, और मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए नमूने एकत्र किए हैं.
उन्होंने कहा, "समिति की सिफारिशों के जवाब में, सात मई, 2024 से सिंगापुर और हांगकांग के लिए सभी मसाला खेप के लिए ईटीओ अवशेषों के अनिवार्य नमूनाकरण और परीक्षण को लागू किया गया है."
उन्होंने कहा कि सभी निर्यातकों के लिए ईटीओ ट्रीटमेंट के गाइडलाइंस भी दोहराए गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने ETO के उपयोग की सीमा तय करने के लिए कोडेक्स समिति के समक्ष भी मामला उठाया है क्योंकि विभिन्न देशों की सीमाएं अलग-अलग हैं. इसके अलावा, ETO परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं है. भारत ने इसके लिए प्रस्ताव दिया है.
1 फीसदी से भी कम सैंपल होते हैं फेल
मसालों और पाक जड़ी-बूटियों के लिए विश्वव्यापी मानकों को विकसित और विस्तारित करने और मानक विकास प्रक्रिया में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ परामर्श करने के लिए, CCSCH (मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति) का गठन वर्ष 2013 में 100 से अधिक देशों के समर्थन से किया गया था. खाद्य उत्पादों में कुछ हद तक सैंपल्स की विफलता होती रहती है और भारत में सैंपल का फेल होना एक फीसदी से भी कम है.
भारत ने मसालों के निर्यात के लिए जारी किए हैं गाइडलाइंस
इन वस्तुओं पर कुछ देशों द्वारा गुणवत्ता संबंधी चिंताएं जताए जाने के बीच मसाला बोर्ड ने भारत से भेजे जाने वाले उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड संदूषण को रोकने के लिए निर्यातकों के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं. वर्ष 2023-24 में, भारत का मसाला निर्यात कुल 4.25 अरब डॉलर का था, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12 प्रतिशत है.
सबसे ज्यादा निर्यात होता है मिर्च पाउडर
भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख मसालों में मिर्च पाउडर शामिल है, जो 1.3 अरब डॉलर के निर्यात के साथ सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद जीरा 55 करोड़ डॉलर, हल्दी 22 करोड़ डॉलर, इलायची 13 करोड़ डॉलर, मिश्रित मसाले 11 करोड़ डॉलर आदि शामिल हैं. अन्य उल्लेखनीय निर्यात होने वाले मसालेां में हींग, केसर, सौंफ, जायफल, जावित्री, लौंग और दालचीनी हैं.