दक्षिण एशियाई देशों के बीच आपसी व्यापार संभावनाओं की तुलना में काफी कम है. इसकी वजह एशियाई देशों में आपसी विश्वास की कमी तथा माल एवं सेवा के प्रवाह में रुकावटें हैं. जबकि क्षेत्रीय व्यापार और संबंधों को बढ़ा कर दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के साथ भारत का कारोबार तीन गुना अधिक हो सकता है. यह खुलासा विश्वबैंक की एक रिपोर्ट में किया गया है.

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विश्वबैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री संजय कथूरिया द्वारा लिखी गयी रिपोर्ट ‘ए ग्लास हॉफ फुल: दी प्रॉमिस ऑफ रीजनल ट्रेड इन साउथ एशिया’ में कहा गया कि मजबूत क्षेत्रीय व्यापार एवं संपर्क से भारत को दक्षिण एशियाई देशों के साथ व्यापार अभी के 23 अरब डॉलर से बढ़ाकर 67 अरब डॉलर करने में मदद कर सकता है. उसने कहा कि व्यापार सहयोग बढ़ने से क्षेत्र के सभी देशों को लाभ होगा.

रिपोर्ट में कहा गया कि अभी भारत और पाकिस्तान के बीच महज दो अरब डॉलर का व्यापार होता है जो व्यापार रुकावटें नहीं होने की स्थिति में 37 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है. विश्वबैंक ने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच व्यापार क्षमता बढ़ाने के लिए आपसी भरोसे में कमी कम होना चाहिए.

रिपोर्ट में इस संदर्भ में कहा गया कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाट बनाने से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है तथा तस्करी में कमी आई है. रिपोर्ट में उदाहरण देकर बताया गया है कि अगर भारत के लिए, क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी में इजाफा पूर्वोत्तर भारत के अलगाव को कम कर सकती है.

भारतीय कंपनियों को दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के बाजारों तक बेहतर पहुंच बनाने का मौका देना चाहिए. साथ ही नेपाल और भूटान से जल विद्युत द्वारा ईंधन को प्रतिस्थापित करने की अनुमति देनी चाहिए. भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर वस्तुओं की अधिक विविधता की उपलब्धता से भी फायदा होगा. भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार आज सिर्फ 2 अरब डॉलर है. रिपोर्ट से पता चलता है कि व्यापार बाधाओं के बिना, यह 37 बिलियन डॉलर हो सकता है.