सिगरेट न पीने से भी हो सकता है लंग कैंसर, जानिए क्यों जहरीली हो रही आबो-हवा
अकसर सुनने में आता है कि धूम्रपान (Smoking) करना सेहत के लिए हानिकारक है. इससे कैंसर होता है, लेकिन तब क्या कहेंगे, जब ऐसे किसी को फेफड़ों (Lungs) का कैंसर हो जाए जिसने जिंदगी में कभी सिगरेट का एक कश ना लिया हो?
अकसर सुनने में आता है कि धूम्रपान (Smoking) करना सेहत के लिए हानिकारक है. इससे कैंसर होता है, लेकिन तब क्या कहेंगे, जब ऐसे किसी को फेफड़ों (Lungs) का कैंसर हो जाए जिसने जिंदगी में कभी सिगरेट का एक कश ना लिया हो? आप भी सोचेंगे कि ये कैसे हो सकता है. तो आपको बता दें कि ऐसा हो सकता नहीं बल्कि ऐसा हो चुका है. धूम्रपान न करने वाले लोगों को भी फेफड़ों का कैंसर हो रहा है और इसके लिए जिम्मेदार है हवा.
जी हां, यह सच है. सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली के चेस्ट सर्जन अरविंद कुमार के मुताबिक दिल्ली की जहरीली हवा के पीछे वह रासायनिक कण हैं, जो आम तौर पर सिगरेट के धूएं में पाए जाते हैं. सांस लेने से ये कण फेफड़ों में जमा होते जाते हैं और लंबे समय तक जमा होने की वजह से ये फेफड़ों के कैंसर का रूप ले लेते हैं.
प्रदूशित शहरों में से 15 भारत में
कुमार के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक विश्व के 20 सबसे ज्यादा प्रदूशित शहरों में से 15 भारत में हैं. WHO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्व में सबसे ज्यादा प्रदूषण दिल्ली-NCR में है.
क्या कहती है रिपोर्ट
> हरियाणा का गुरुग्राम विश्व का सबसे प्रदूषित शहर है
> दूसरे पायदान पर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद है
> फरीदाबाद, नोएडा, पटना, मुंबई, लखनऊ जैसे शहरों के भी नाम फेहरिस्त में शामिल हैं
> हालात यहां तक खराब हैं कि UN ने नई दिल्ली को विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी कहा है
प्रदूषण से धरती की सेहत बदली
एयर पॉल्यूशन ने धरती की सेहत और उसकी आबो-हवा को बदल कर रख दिया है. कहीं पर सूखा तो कहीं पर बिन मौसम बारिश. और अब तो हालात सांस लेने से पहले सोचने को मजबूर कर रहे हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि हम और आप प्रदूषण को कम करने वाले उपायों को बिना समय गंवाए शुरू करें, जिससे प्रदूषण घटे और सांस लेने के लिए साफ सुथरी हवा मिले.