पिछले दो हफ्ते उत्तर भारत के किसानों के लिए बहुत ही भारी साबित हुए. जगह-जगह तेज बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से बड़े पैमाने पर किसानों की फसल बर्बाद (crop loss) हुई है. खेतों में सरसों और गेहूं की फसल कटने के लिए तैयार खड़ी थी, लेकिन ओला और बारिश के चलते फसल पूरी तरह से बर्बाद होने के समाचार मिले हैं. हालांकि प्रभावित राज्यों की सरकारों ने फौरन ही किसानों को मुआवजा राशि देने का फैसला किया है. 

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केंद्र सरकार भी किसानों को राहत देने के लिए जुट गई है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि मौसम की मार या आपदाओं के कारण फसलों को हुए नुकसान का आकलन अब उपग्रह (सैटेलाइट) से किया जाएगा, जिससे किसानों को फसल बीमा का लाभ या मुआवजा देने में ट्रांसपेरेंसी आएगी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी.

अपनी इच्छा से करवा से सकते हैं बीमा

कैलाश चौधरी ने कहा कि फसल बीमा योजना को लेकर शिकायतें आती थीं कि किसानों पर फसल बीमा थोपी जा रही है, इसलिए सरकार ने इसमें बदलाव लाते हुए फसल बीमा को ऐच्छिक बना दिया है. उन्होंने कहा कि नई फसल बीमा नीति के तहत बदलाव करते हुए इसे किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है, जिसके बाद जिन किसानों को फसल बीमा नहीं लेनी है, वे अगर अपने बैंक एक चिट्ठी दे देंगे कि उनको बीमा नहीं चाहिए तो उनके खाते से फसल बीमा का प्रीमियम नहीं काटा जाएगा और जब उनको लगेगा कि फसल बीमा का लाभ उन्हें लेना चाहिए तो फिर वे बैंक में एक चिट्ठी देकर बीमा करवा सकते हैं.

तीन साल के लिए होगा टेंडर

फसल बीमा में दूसरा बदलाव यह किया गया है कि पहले बीमा कंपनियों के लिए अब एक साल की जगह कम से कम तीन साल के लिए टेंडर भरना अनिवार्य होगा. इससे किसानों की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि तीन साल के लिए जब कंपनी टेंडर भरेगी तो किसानों के प्रति उनकी जिम्मेदारी बनी रहेगी.

वहीं, फसल बीमा की प्रीमियम में किसानों के अंशदान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. किसानों को खरीफ फसलों पर 2 फीसदी, रबी फसलों पर 1.5 फीसदी ही प्रीमियम भरना होगा. लेकिन राज्यों के लिए अब यह तय कर दिया गया है कि वे सिंचित क्षेत्र कंपनी को 25 और गैर सिंचित क्षेत्र के लिए 30 फीसदी से अधिक प्रीमियम नहीं देंगे.

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कैलाश चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा या मौसम की बेरुखी के कारण फसल को हुए नुकसान का आकलन अब उपग्रह से किया जाएगा जिससे मुआजवा देने में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा कि तकनीकी के माध्यम से जब फसल के नुकसान का आकलन होगा तो उसमें किसानों की यह शिकायत नहीं रहेगी कि पटवारी आकलन में गड़बड़ी की या उनके खेतों को शामिल नहीं किया, साथ ही इसकी रिपोर्ट जल्द आएगी और समय पर किसानों को मुआवजा मिलना सुनिश्चित होगा.