आम आदमी को महंगे गेहूं और आटे से जल्द मिलेगी राहत, 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचेगी सरकार, पढ़ें डीटेल्स
ओएमएसएस (डी) के तहत फरवरी के पहले हफ्ते (1 फरवरी, 2023) से बिक्री के लिए 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पेशकश की गई है, जिसके लिए आज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा टेंडर अपलोड किए जाएंगे.
ओपन मार्केट सेल स्कीम (डोमेस्टिक) के तहत फरवरी के पहले हफ्ते (1 फरवरी, 2023) से बिक्री के लिए 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पेशकश की गई है, जिसके लिए आज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा टेंडर अपलोड किए जाएंगे. गेहूं का स्टॉक खरीदने के इच्छुक खरीदार FCI की ई-नीलामी सेवा प्रदाता "एम-जंक्शन सर्विसेज लिमिटेड" (https://www.valuejunction.in/fci/) के साथ खुद को लिस्ट कर सकते हैं और स्टॉक के लिए बोली लगा सकते हैं. आदेश के अनुसार जो भी पार्टी अपना नाम दर्ज कराना चाहती है, उसके लिए पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया 72 घंटे के भीतर पूरी कर ली जाएगी.
बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं
बताते चलें कि सरकार द्वारा बढ़ती कीमतों को तत्काल प्रभाव से नियंत्रित करने के लिए देश के सभी राज्यों से स्टॉक की पेशकश की जाती है. देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए ये निर्णय लिया गया है कि एफसीआई ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) के तहत विभिन्न प्रावधानों से 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा. एफसीआई ने पूरे देश में इस योजना की घोषणा के 24 घंटे के भीतर स्टॉक की ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
30 लाख मिट्रिक टन गेहूं की खरीद से कम होगी आटे की कीमत
कई चैनलों के माध्यम से दो महीने की अवधि के भीतर ओएमएसएस (डी) योजना के माध्यम से बाजार में 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री व्यापक पहुंच के साथ-साथ गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों पर तत्काल प्रभाव डालेगी और बढ़ते दामों को रोकने में मदद करेगी. जिससे आम आदमी को काफी राहत मिलेगी. एफसीआई खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों को काबू करने के उद्देश्य से बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए पूरे देश में खाद्यान्नों की आवाजाही करता है.
देशभर में 2000 डिपो संचालित करता है FCI
खाद्यान्नों के भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा के लिए एफसीआई पूरे देश में अपने करीब 500 डिपो सहित लगभग 2000 डिपो संचालित करता है. बुनियादी ढांचे के संदर्भ में एफसीआई ने अपनी भंडारण क्षमता को 1965 में 6 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर वर्तमान में 800 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कर दिया है.