रिलायंस (Reliance) उद्योग जगत का जाना-माना नाम है. लेकिन कस्‍टमर बेस के मामले में मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो (Jio) और अनिल अंबानी के रिलायंस कम्‍युनिकेशंस (RCom) में काफी अतंर है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जियो को शुरू हुए मात्र 3 साल हुए हैं लेकिन उसका ग्राहक आधार डेढ़ दशक पहले शुरू हुई आरकॉम से कहीं अधिक है. दूरसंचार नियामक ट्राई (Trai) के मुताबिक 31 अगस्‍त 2018 तक टेलीकॉम वायरलैस सब्‍स्‍क्राइबर बेस 116.69 करोड़ का था, जिसमें जियो का शेयर 20.5% है जबकि आरकॉम का शेयर 0.004% है.

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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एकसाथ सफर की शुरुआत करने वाले दोनों भाइयों की दौलत में 41 अरब डॉलर का अंतर है. मुकेश अंबानी चीन के जैक मा को पीछे छोड़कर एशिया के सबसे धनी व्यक्ति बन गए हैं. पेट्रोकेमिकल्स के अलावा हाल में उनका टेलीकम्युनिकेशन कारोबार भी तेजी से आगे बढ़ा है. इसके साथ ही उनकी रिलायंस इंडस्ट्रीज 100 अरब डॉलर की कंपनी बन गई है. अक्‍टूबर 2018 में ब्लूमबर्ग बिलियनरीज़ इंडेक्स के मुताबिक उनकी संपत्ति 43.1 अरब डॉलर है. अनिल अंबानी की संपत्ति घटकर महज 1.5 अरब डॉलर ही बची है.

2005 में बंटा था रिलायंस समूह

धीरूभाई अंबानी की मौत के बाद 2005 में रिलायंस समूह का बंटवारा हो गया. उस समय दिवंगत धीरूभाई की पत्‍नी कोकिलाबेन ने दोनों भाइयों की सहमति के साथ ऑयल रिफायनरी और पेट्रोकेमिकल्‍स कारोबार मुकेश अंबानी को दिया था जबकि अनिल अंबानी को पावर जनरेशन और वित्‍तीय सेवा कारोबार मिला था. साथ ही अनिल अंबानी को टेलीकॉम कंपनी भी मिली थी, जिसका नाम आरकॉम है.

2015 में बनी जियो

मुकेश अंबानी ने दिसंबर 2015 में रिलायंस जियो की शुरुआत कर टेलीकॉम क्षेत्र में कदम रखा. 3 साल में जियो मोबाइल ग्राहकों की संख्‍या के आधार पर देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन गई. लेकिन आरकॉम की इस क्षेत्र में पहचान नाम मात्र की रह गई है.

कैसे जियो पहुंची शिखर पर

केयर रेटिंग की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 तक मोबाइल ग्राह‍क में टेलीकॉम कंपनियों की बाजार हिस्‍सेदारी एकदम अलग थी. जियो सस्‍ती डाटा सर्विस के जरिए अपना ग्राहक आधार बनाने में सफल रही. उसकी सर्विस को ग्राहकों ने हाथोंहाथ लिया. इससे कम्‍पीटीशन में आकर अन्‍य टेलीकॉम कंपनियों को भी अपना डाटा प्‍लान सस्‍ता करना पड़ा. जियो ने पूरे वायस और डाटा बाजार को बदल दिया.

जियो कैसे दे पाई सस्‍ती सेवा

जियो को अपने मोबाइल ग्राहकों तक सस्‍ता डाटा प्‍लान उपलब्‍ध कराने में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्‍ट्रीज का बहुत बड़ा सपोर्ट रहा है. 2010 तक मुकेश अंबानी ने इसलिए टेलीकॉम बिजनेस में कदम नहीं रखा था क्‍योंकि उन्‍होंने अनिल के साथ एक समझौता कर रखा था. लेकिन जब वह टेलीकॉम बिजनेस में आए तो उनकी अत्‍यधिक सस्‍ती मोबाइल डाटा सेवा ने बाजार में तहलका मचा दिया. इससे न सिर्फ अन्‍य टेलीकॉम कंपनियां बंद हुई बल्कि आरकॉम का बिजनेस भी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ. मुकेश अंबानी ने 4जी वायरलैस नेटवर्क के लिए 2.5 ट्रिलियन रुपए खर्च किए.

क्‍यों नहीं मात दे पाए अनिल अंबानी

मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम उद्योग को खड़ा करने के लिए जितनी रकम खर्च की, अनिल उसके मुकाबले ज्‍यादा नहीं खर्च कर पाए. उन्‍होंने अरबों रुपए लगाए लेकिन उनके पास तेल रिफायनरी जैसे समृद्ध कारोबार की बैकिंग नहीं थी. ब्‍लूमबर्ग ने अंबानी बंधुओं की वेल्‍थ प्रोफाइल स्‍टोरी प्रकाशित की थी, जिसमें यह जानकारी भी दी गई थी.

आरकॉम कैसे फंसी कर्जे में

आरकॉम पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज है. इसे निपटाने के लिए आरकॉम ने जियो के साथ करार किया है. यह कर्जा बिजनेस के विस्‍तार के लिए लिया गया था. आरकॉम ने जियो के साथ कर्ज निपटाने के लिए स्‍पेक्‍ट्रम सौदा किया है. इसके बदले जियो उसका 45 हजार करोड़ रुपए का कर्जा निपटाएगी. आरकॉम की 14वीं वार्षिक सालाना सभा में अनिल अंबानी ने ऐलान किया था कि आरकॉम टेलीकॉम बिजनेस से बाहर हो जाएगी.