खाने-पीने के प्रोडक्ट्स पर जल्द आएंगी नई गाइडलाइंस, रंग-केमिकल्स से लेकर चर्बी तक की हो रही मिलावट
खाने पीने की चीज़ों में मिलावट की लगातार आ रही खबरों के बीच फूड रेगुलेटर एक्शन में आ गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई जांच लगभग पूरी हो गई है. हेल्थ ड्रिंक्स की कैटेगरी खत्म कर दी गई है. अब कंपनियां चीनी और नमक की मात्रा घटाने के लिए तेजी से फॉर्मूले में बदलाव कर रही हैं.
खाने पीने की चीज़ों में मिलावट की लगातार आ रही खबरों के बीच फूड रेगुलेटर एक्शन में आ गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई जांच लगभग पूरी हो गई है. अब अगले महीने कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी जाएगी. हेल्थ ड्रिंक्स की कैटेगरी खत्म कर दी गई है. अब कंपनियां चीनी और नमक की मात्रा घटाने के लिए तेजी से फॉर्मूले में बदलाव कर रही हैं. चॉकलेट जैसे जिन उत्पादों में कॉन्फीगरेशन नहीं बदला जा सकता, उनमें कितना खाना है जैसी एडवाइजरी पैकेट्स पर दिखाने की शुरुआत हो गई है.
खाने पीने के प्रोडक्ट्स को लेकर नए सिरे से गाइडलाइंस
पैकेज़्ड कमोडिटीज के लिए एडेड शुगर/सॉल्ट समेत MRL की मात्रा को लेकर दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं. रेगुलेटर की तरफ से लगातार जांच बढ़ाई जा रही है. FSSAI ने अब तक खाद्य पदार्थ के लिए 700 स्टैंडर्ड तय किए हैं. कई मानकों की मौजूदा फूड हैबिट के आधार पर समीक्षा की गई है.
FSSAI ने 21 साइंटिफिक पैनल बनाए हैं, जिसमें यूनिवर्सटीज, रिसर्च इंस्टीट्यूट और CSIR, ICAR, ICMR, IITR, NIFTEM, IIT, CFTRI जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं. उपभोक्ता मामले मंत्रालय की कमेटी ने भी फूड सेफ्टी को लेकर रिपोर्ट सौंप दी है. इसके अलावा Bournavita समेत अन्य हेल्थ ड्रिंक्स को लेकर एक्शन का असर दिखना शुरू हो गया है. कंपनियां लगातार एडेड सुगर और सॉल्ट कम कर रहीं हैं
2024-25 में 5 उत्पादों को लेकर आ सकती हैं गाइडलाइंस
FSSAI ने चायपत्ती और खाने का तेल पर जांच लगभग पूरी कर ली है. वहीं आने वाले वक्त में 5 उत्पादों को लेकर गाइडलाइंस आ सकती हैं.
1- फल और सब्जियां
2- फिश प्रोडक्ट्स में Salmonella
3- मसाले और जड़ी-बूटियां
4- फोर्टिफाइड राइस
5- दूध और दूध के प्रोडक्ट
अभी तक की जांच में क्या मिला?
खाने के तेल में पाम ऑयल, रंग, खुशबू और मिर्च का अर्क, सिंथेटिक एलाइल आइसोथायोसाइनेट, प्याज का रस और फैटी एसिड की मिलावट पाई गई है. सब्जियों में पेस्टीसाइड जरूरत से ज्यादा मिले हैं. खाद और अन्य प्रिजर्वेटिव्स भी MRL से ज्यादा मिले हैं. सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए रंग का इस्तेमाल पाया गया है, जो दिखाता है कि नींबू, मिर्ची भी सुरक्षित नहीं है.
रंग-केमिकल्स से लेकर चर्बी तक की हो रही मिलावट
दूध और उससे बने उत्पादों में भी मिलावट देखने को मिली है. डिटर्जेंट, यूरिया, एनिमल फैट, सॉल्वेंट से भी कुछ लोग दूध बना रहे हैं. जानवरों को इंजेक्शन देकर दूध निकालने की प्रक्रिया में केमिकल्स का इस्तेमाल पाया गया है. इतना ही नहीं, चायपत्ती में केमिकल्स, चर्बी, रंग, हेवी मेटल्स पाए गए हैं. MRL से अधिक पेस्टिसाइड्स भी मिला है.