राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऑनलाइन खरीद प्रणाली के द्वारा एक ही सीजन में सरसों की 6.08 लाख मीट्रिक टन रिकॉर्ड खरीद की गई है. राजफैड द्वारा 29 जून तक सरसों, चना और 30 जून तक गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद की गई. इस दौरान 3.50 लाख, 900 किसानों से 3,188 करोड़ रुपये की उपज खरीदी गई. कोटा संभाग में सरसों की खरीद 12 जून तथा चना की खरीद 22 जून तक की गई.

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सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि 29 जून को संपन्न हुई खरीद से 2.86 लाख, 895 किसानों से 6.08 लाख, 571 मीट्रिक टन सरसों की रिकॉर्ड खरीद की गई. इसके बदले किसानों को 2,556 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले साल 2018 में 1.70 लाख, 871 किसानों से मात्र 4.71 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद हुई थी, जिसके बदले किसानों को 1,886 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इस प्रकार गत सीजन की तुलना में 670 करोड़ रुपये की अधिक सरसों की खरीद हुई है.

सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव अभय कुमार ने बताया कि खरीद में पहली बार बायोमैट्रिक सत्यापन एवं एक ही मोबाइल पर एक फसल का पंजीकरण किया गया था. यह पहली बार हुआ कि सरसों, चना एवं गेहूं के लिए जिस किसी भी काश्तकार ने उपज बेचने के लिए पंजीकरण कराया, उन सभी को उपज बेचान की तिथि आवंटित की गई.

राजफैड़ के प्रबंध निदेशक ज्ञानाराम ने बताया कि राजफैड़ के स्तर से तहसीलवार किसानों को फायदा देने के लिये रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराई गई, जिसके कारण एक ओर स्थानीय किसानों को फायदा मिला वही, दूसरी ओर आसानी से सरसों की खरीद संभव हो पाई. उन्होंने बताया कि बारदाने की किसी प्रकार से समस्या खरीद के दौरान नहीं आई. 

उन्होंने बताया कि बारदाने को लेकर खरीद केंद्रों की विशेष निगरानी की गई और किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए 10 दिन का अतिरिक्त बारदाना रिजर्व में रखा गया. सरसों, चना एवं गेहूं की कुल 7.70 लाख मीट्रिक टन उपज खरीदी गई. जिसकी राशि 3188 करोड़ रूपये है. उन्होंने बताया कि किसानों को भुगतान की प्रक्रिया जारी है तथा 2053 करोड रुपये का भुगतान 2.29 लाख, 845 किसानों का किया जा चुका है तथा शेष किसानों को भुगतान किया जा रहा है.

(रिपोर्ट- आशीष चौहान/जयपुर)