एक शहर की बदली किस्मत: कभी पानी को तरसते थे, आज यहां लहलहाती हैं फसलें
एनएम सद्गुरु वाटर एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की अगुवाई में झाबुआ में बरसात के पानी को रोकने के लिए 23 नए चेक डैम बनाए. पहले से ही मौजूद छह बांधों की मरम्मत करके उन्हें नया स्वरूप दिया गया.
गर्मियों की दस्तक के साथ ही देश के कई इलाकों में पानी का संकट शुरू हो गया है. पानी के संकट का सबसे ज्यादा सामना किसानों को करना पड़ता है. मध्य प्रदेश का झाबुआ भी एक ऐसा ही जिला है, जहां के लोग हर साल पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष करते हैं. लेकिन अब स्थिति ऐसी नहीं है. कभी पीने भर पानी के लिए मीलों चलने वाले झाबुआ के लोगों के घर-घर में पानी पहुंच रहा है. पानी के अभाव में सूखने वाले खेत अब हरीभरी फसलों से लहलहा रहे हैं.
झाबुआ में रहने वाले अधिकांश लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर करती है. पानी नहीं होने से यहां गरीबी बढ़ गई थी. पीने और स्वच्छता के लिए पानी की अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थता के कारण उनके जीवन की गुणवत्ता बिगड़ने लगी.
पानी की एक-एक बूंद से जूझते झाबुओ के लोगों को राहत पहुंचाने के मकसद से कुछ गैर सरकारी संगठन सामने आए. एनएम सद्गुरु वाटर एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की अगुवाई में यहां बरसात के पानी को रोकने के लिए 23 नए चेक डैम बनाए. यहां पहले से ही मौजूद छह बांधों की मरम्मत करके उन्हें नया स्वरूप दिया गया. मौसम में बरसात हुई और बारिश का पानी चेक डैम में जमा होने लगा. सूखे बांधों की गोद में से पानी के झरने फूटने लगे और कुछ ही समय में पूरे इलाके का जलस्तर बढ़ने लगा.
जमीन की कोख में पानी समाया तो उसमें से हरियाली की कोपलें फूटने लगीं. और इस तरह सूखे से जूझने वाले झाबुआ के खेतों में हल चलने लगे और फसलें होने लगीं. आज यहां के किसान हर साल 2-3 फसलें ले रहे हैं. पशुपालन होने लगा है. खेती और पशुपालन होने से किसानों के हालात भी सुधरने लगे.
हालांकि गांव में यह परियोजना केवल दो साल पुरानी है, लेकिन इसने अधिकांश प्रभावित गांवों में जल संग्रहण और चेकडैम का सफलतापूर्वक निर्माण किया है, जिससे पानी के तालिकाओं का उचित प्रबंधन होता है. बांधों के पुनरोद्धार ने लोगों को पीने, खाना पकाने और स्वच्छता जैसी बुनियादी पानी की जरूरतों को पूरा करने की अनुमति दी है, जिससे उनकी जीवनशैली में काफी सुधार हुआ है.
झाबुआ की जमीन में पानी का स्तर बढ़ने से यहां रहने वाले 6 लाख लोगों के जीवन में सुधार हुआ है. झाबुआ में बने चेकडैम और वाटर हार्वेस्टिंग की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन और आनंदना के सीएसआर शाखा ने भी अहम योगदान दिया है.