राफेल विवाद: पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान से फ्रांस सरकार, दसॉल्ट एविएशन का किनारा
राफेल सौदे को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन का विरोधाभासी बयान सामने आया
राफेल सौदे को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन का विरोधाभासी बयान सामने आया
है. फ्रांस सरकार ने यह बयान शुक्रवार रात पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान के बाद जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत सरकार ने
राफेल सौदे के लिए एक निजी कंपनी का नाम सुझाया था.
ओलांद ने यह कहा था
एक फ्रांसीसी वेबसाइट ने एक लेख में ओलांद के हवाले से कहा था कि भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से रिलायंस डिफेंस को इस सौदे के लिए भारतीय साझीदार के रूप में नामित करने के लिए कहा था. ओलांद ने कहा था, "हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी."
ओलांद के बयान की 5 बड़ी बातें
1. भारत सरकार ने ही अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस के नाम का प्रस्ताव किया
2. Dassault एविएशन के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था
3. रिलायंस को चुनने में Dassault एविएशन की भूमिका नहीं
4. भारत सरकार के प्रस्ताव के बाद Dassault ने अनिल अंबानी के साथ डील पर बात की
5. फ्रेंच मैगज़ीन मीडियापार्ट को फ्रांस्वा ओलांद ने इंटरव्यू दिया
फ्रांस सरकार ने अपनी भूमिका नकारी
इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार रात जारी बयान में कहा गया, "इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी." बयान में आगे कहा गया कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांस की कंपनी को पूरी छूट है कि वह जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने, फिर उस ऑफसेट परियोजना की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वह भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं ताकि वे इस समझौते की शर्ते पूरी कर सके.
दसॉल्ट एविएशन की प्रतिक्रिया
राफेल विमानों के निर्माता दसॉल्ट एविएशन ने भी शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था. यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था. फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था.
रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को लेकर क्या विवाद?
- कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने रिलायंस को रफ़ाल का Offset Partner चुना
- यानी भारत में रफ़ाल के निर्माण का काम रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को दिया गया
- सरकार ने रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को फ़ायदा पहुंचाने के आरोप का खंडन किया
- सरकार ने कहा- रिलायंस को पार्टनर फ्रांस की कंपनी Dassault Aviation ने चुना
- सरकार ने कहा- अनुबंध के मुताबिक़ वेंडर अपना भारतीय पार्टनर चुनने के लिये स्वतंत्र है