Property Tips: एक आम भारतीय के जिंदगी का सबसे बड़ा सपना होता है अपने खुद का घर खरीदना(Buy a Home). लोग अपने जीवन भर की कमाई एक घर खरीदने में लगा देते हैं, लेकिन कई बार उन्हें सिर्फ धोखा मिलता है. एक आंकड़ें के मुताबिक देश की अलग-अलग अदालतों में करीब साढ़ें चार करोड़ केस पड़े हुए हैं, इनमें से बड़ी संख्या में प्रॉपर्टी से जुड़े मामले भी हैं. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हालांकि रियल एस्टेट (Real Estate) में कब किस बात पर आपकी प्रपर्टी पर पेंच फंस जाए यह कह पाना जरा मुश्किल है. लेकिन घर खरीदते समय कुछ सावधानियां है, जिनको ध्यान में रखकर हम काफी सारी मुश्किलों में पड़ने से बच सकते हैं. इनमें प्रॉपर्टी के पेपर्स की जांच करना भी बहुत आवश्यक है.

इन तीन बातों का रखें ध्यान

लीगल एक्सपर्ट राजेंद्र कूकड़ा बताते हैं कि हमें तीन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले तो देखना चाहिए जिस प्रॉपर्टी (Buy a Property) में आप पैसा लगाने जा रहे हैं, वह प्रोजक्ट क्या किसी रेगुलेटर की सीमा में आती है. दूसरा जिस प्लॉट ऑफ लैंड यह कंस्ट्रक्शन हो रहा है, वह मार्केटेबल है या नहीं. टाइटल-फ्री कैसा है उसका? तीसरी सबसे जरूरी बात, जिस यूनिट को आप खरीदने जा रहे हैं, उसे क्या लोकल अथॉरिटी ने अप्रूव कर दिया है. 

 

रेरा रजिस्ट्रेशन की करें जांच

महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों में रेरा (RERA) है. रेरा में दो-तीन नियम होते हैं, जिसके तहत आप अपना कंस्ट्रक्शन बिना रजिस्ट्रेशन कराए कर सकते हैं. जैसे अगर कोई कंस्ट्रक्शन 500 स्क्वायर मीटर से कम है, तो उसे रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है.  कोइ एरिया जिसे कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिल गया है, उसे रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है. अगर कोई न्यू डेवलपमेंट हो रहा है, तो उसे रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है. इसके अलावा सभी प्रोजेक्ट्स को रेरा में रजिस्टर्ड होना चाहिए. 

Zee Business Hindi Live यहां देखें

 

RERA में रजिस्ट्रेशन कराने पर बिल्डर या डेवलपर को एक रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर मिलता है, जिसे देखकर कस्टमर के लिए यह जानना बहुत आसान हो जाता है कि बिल्डर ने रेरा के तहत अपनी सारी लीगल फॉरमेलिटी को पूरा कर लिया है. बिल्डर्स अपने एडवरटाइजमेंट और हर डॉक्यूमेंट पर ये नंबर डाल सकते हैं. 

प्रोजेक्ट की जमीन का टाइटल हो क्लियर

प्लॉट ऑफ लैंड (Plot of Land) में हमें टाइटल सर्टिफिकेट (Title Certificate) को ध्यान में रखना होता है. इससे इस बात की जानकारी मिल जाती है कि कहां से इस प्रॉपर्टी का चेन डेवलप हुआ है और क्या वाकई में इस प्रॉपर्टी का टाइटल डेवलपर के पास है भी या नहीं. अगर प्रॉपर्टी में रिडेवलपमेंट हो रहा है, तो इसके लिए आप डेवलपमेंट एग्रीमेंट देख सकते हैं.

लोकल अथॉरिटी से प्लान की मंजूरी

इसके साथ ही जो यूनिट, फ्लैट या शॉप आप खरीद रहे हैं उसके लिए आप अप्रूव्ड प्लान और फ्लोर प्लान को देख यह जान सकते हैं कि इस प्लान को लोकल अथॉरिटी ने अप्रूव किया है या नहीं. 

लीगल एक्सपर्ट की लें सलाह

ऐसे में घर खरीदते समय इन तीन डॉक्यूमेंट्स की अनदेखी बिल्कुल भी न करें. प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले किसी लीगल एक्सपर्ट से इसकी जांच भी जरूर कराएं.