World Tuberculosis Day: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने टीबी मुक्त भारत अभियान किया शुरू , कहा - 2025 तक इस बीमारी को खत्म करना लक्ष्य
World Tuberculosis Day: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने के लिए ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ प्रारंभ किया. इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा, "प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान माननीय प्रधानमंत्री की नागरिक-केंद्रित नीतियों का विस्तार है.
Prime Minister TB Free India Campaign: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने के लिए ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ प्रारंभ किया. इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा, "प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान माननीय प्रधानमंत्री की नागरिक-केंद्रित नीतियों का विस्तार है". उन्होंने टीबी कार्यक्रम की सफलता का श्रेय टीबी मामलों की अधिसूचना और लगातार प्रयासों जैसे प्रमुख संकेतकों को दिया, जिनके कारण 2021 के अंत तक मासिक अधिसूचना रिपोर्टिंग पूर्व-महामारी के स्तर तक पहुंच गई.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में टीबी उन्मूलन का आधार 360-डिग्री दृष्टिकोण है. 2025 तक टीबी उन्मूलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक ऐसे सामाजिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो सभी पृष्ठभूमि के लोगों को जन आंदोलन के रूप में एक साथ लाए.डॉ. मांडविया ने सूचित किया कि नि-क्षय पोर्टल में लगभग 13.5 लाख टीबी रोगी पंजीकृत हैं, जिनमें से 8.9 लाख सक्रिय टीबी रोगियों ने एडॉप्शन के लिए अपनी सहमति दे दी है. डिजिटल पोर्टल नि-क्षय टीबी रोगियों को सामुदायिक सहायता के लिए एक मंच प्रदान करेगा. उन्होंने सभी नागरिकों, गैर सरकारी संगठनों, कॉरपोरेट घरानों, निर्वाचित प्रतिनिधियों आदि से नि-क्षय मित्र बनकर इस आंदोलन में सहायता देने और इस पहल के बारे में चर्चा करने के लिए सभाएं आयोजित करने का आग्रह किया, ताकि कोई भी टीबी रोगी पीछे न छूट जाए. राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम(NTEP) के बारे में...- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी), जिसे पहले संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के रूप में जाना जाता था, का लक्ष्य भारत में टीबी के बोझ को सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले 2025 तक रणनीतिक रूप से कम करना है.
- भारत से 2025 तक टीबी उन्मूलन करने के भारत सरकार के उद्देश्य पर जोर देने के लिए 2020 में आरएनटीसीपी का नाम बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कर दिया गया.
- यह 632 जिलों/रिपोर्टिंग इकाइयों में एक बिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच बना चुका है और यह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर टीबी उन्मूलन के लिए भारत सरकार की पंचवर्षीय राष्ट्रीय रणनीतिक योजनाओं को संचालित करने के लिए उत्तरदायी है.
- 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए टीबी उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय रणनीतिक योजना मिशन मोड में शुरू की गई थी.
- यह एक बहु-आयामी दृष्टिकोण है, जिसका उद्देश्य निजी प्रदाताओं से देखभाल की मांग करने वाले टीबी रोगियों और उच्च जोखिम वाली आबादी में न पता लगने वाले टीबी के मामलों तक पहुंच कायम करने पर बल देते हुए सभी टीबी रोगियों का पता लगाना है.
- साल 2021 में, भारत ने अनुमानित मामलों की संख्या और निक्षय पोर्टल पर पहले दर्ज किए गए मामलों के बीच अंतर को सफलतापूर्वक पाटते हुए टीबी के 21 लाख मामलों को अधिसूचित किया.
- निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं सहित कई दूरंदेशी नीतियों को लागू किया गया है, जिससे टीबी रोगियों, विशेष रूप से वंचित लोगों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिली है.
- देश भर में 2018 से अब तक टीबी का इलाज करा रहे 65 लाख से अधिक लोगों को लगभग 1,707 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.
- निजी क्षेत्र को साथ जोड़ने के प्रयासों के तहत 250 जिलों में रोगी प्रदाता सहायता एजेंसियों (पीपीएसए) को घरेलू सेटअप और जीत पहल के माध्यम से शुरू किया गया है, जिससे सभी टीबी रोगियों में से 32% को निजी क्षेत्र से अधिसूचित किया जा रहा है.
- टीबी के जिन रोगियों का निदान हो चुका है, उनके लिए यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग (यूडीएसटी) के आधार पर कार्यक्रम ने देश भर में 2021 तक 3,760 एनएएटी मशीनों को जोड़ा. इससे यह सुनिश्चित किया गया कि जिन रोगियों में दवा प्रतिरोधी टीबी का पता चला है, उनकी शुरुआत से ही, समय पर सही उपचार प्रारंभ किया जा सके.
- कार्यक्रम ने समुदाय को साथ जोड़ने और टीबी के विरुद्ध जन आंदोलन चलाने की रणनीतियां भी शुरू की हैं। वंचित और हाशिए पर रहने वालों तक पहुंच बनाने तथा रोगियों की इन सेवाओं तक पहुंच बनाने में सहायता करने के लिए कार्यक्रम ने 12,000 से अधिक टीबी चैंपियनों की पहचान की है.
- यह कार्यक्रम मरीजों, डॉक्टरों और उनकी देखभाल करने वालों के बीच इलाज के आम मसलों को हल करने के लिए बातचीत में सहायता देने के लिए रोगी सहायता समूहों (पीएसजी) के गठन में भी सहायता कर रहा है.