किसानों के लिए बड़ा फैसला, फसल बीमा के लिए एक गांव को एक यूनिट माना जाएगा
पहले फसल बीमा का लाभ पाने के लिए फसल नुकसान का आकलन जिला या मंडल के स्तर पर किया जाता था, लेकिन अब इसके लिए गांव एक यूनिट है.
फसल बीमा (Crop Insurance) को ऐच्छिक बनाने के बाद केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने फसल बीमा (PMFBY) के नुकसान के आकलन के लिए अब गांव को ही एक यूनिट का दर्जा दिया है. अभी तक नुकसान का आकलन जिला या मंडल स्तर पर किया जाता था. सरकार के इस फैसले से बीमा भुगतान के समय किसानों के सामने आने वाली समस्या का समाधान होगा.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला (Parshottam Rupala) ने बताया कि पहले फसल बीमा का लाभ पाने के लिए फसल नुकसान का आकलन जिला या मंडल के स्तर पर किया जाता था, लेकिन अब इसके लिए गांव एक यूनिट है.
दरअसल, राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता ने सवाल किया था कि पहले बीमा कंपनी किसानों को यह कहकर किसानों को बीमा का लाभ देकर मना कर दिया करती थी कि पूरे क्षेत्र में कोई नुकसान नहीं है तो क्या फसल बीमा नीति में बदलाव के बाद अब बीमा कंपनियां किसान के व्यक्तिगत नुकसान की भरपाई करेंगी. इस पर रूपाला ने बताया कि अब गांव को एक यूनिट बना दिया गया है जबकि पहले जिला या मंडल यूनिट होता था.
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में पिछले साल अतिवृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान के लिए 64 लाख किसानों ने व्यक्तिगत दावे पेश किए थे. कंपनियों और राज्य सरकार के साथ मिलकर उनके नुकसान का सर्वेक्षण कराया और 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम किसानों को भुगतान कराई.
2016 में शुरू की गई थी योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने 13 जनवरी, 2016 को एक नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का शुभारंभ किया था. यह योजना उन किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने में मदद करेगी जो अपनी खेती के लिए ऋण लेते हैं और खराब मौसम से उनकी रक्षा भी करेगी. बीमा दावे के निपटान की प्रक्रिया को तेज और आसान बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि किसान फसल बीमा योजना के संबंध में किसी परेशानी का सामना न करें.
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बीमा योजना के फायदे
- किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2 फीसदी एवं रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी का एकसमान प्रीमियम का भुगतान किया जाना है.
- वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम केवल 5 प्रतिशत होगा.
- किसानों द्वारा भुगतान किये जाने वाले प्रीमियम की दरें बहुत ही कम हैं और शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा.
- सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है. भले ही शेष प्रीमियम 90% हो, यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.