केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों के पास किसी भी स्रोत - कोयला, जल, पवन या सौर से उत्पन्न बिजली पर कोई टैक्स या शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है और इस तरह का कोई भी शुल्क गैरकानूनी और असंवैधानिक है. केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने 25 अक्टूबर को एक सर्कुलर में कहा कि केंद्र के संज्ञान में आया है कि कुछ राज्य सरकारों ने डेवलपमेंट रेवेन्यू की आड़ में बिजली उत्पादन पर अतिरिक्त शुल्क लगा रही है. 

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इस सूची में बिजली शुल्क प्रावधान

इसमें कहा गया है, कि बिजली उत्पादन पर किसी भी तरह के टैक्स/शुल्क के रूप में इस तरह का अतिरिक्त शुल्क अवैध और असंवैधानिक है. संवैधानिक स्थिति पर स्पष्टीकरण देते हुए मंत्रालय ने कहा कि टैक्स/शुल्क लगाने की शक्तियां विशेष रूप से सातवीं अनुसूची में बताई गई हैं. सातवीं अनुसूची की सूची-दो प्रविष्टियां-45 से 63 में राज्यों द्वारा टैक्स/शुल्क लगाने की शक्तियों को बताया गया है. 

कब लगता है बिजली उपभोग पर टैक्स

कोई भी टैक्स/शुल्क जिसका इस सूची में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, राज्य सरकारों द्वारा कोई भी ‘आड़’ लेकर नहीं लगाया जा सकता है. इसका अधिकार केंद्र सरकार के पास है. सूची-दो (राज्य सूची) की प्रविष्टि-53 राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में बिजली की खपत या बिक्री पर टैक्स लगाने के लिए अधिकृत करती है. इसमें बिजली उत्पादन पर कोई कर या शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है. 

एक राज्य के क्षेत्र के भीतर उत्पन्न बिजली का उपभोग दूसरे राज्यों में किया जा सकता है और किसी भी राज्य के पास दूसरे प्रदेश के लोगों पर कर/शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-286 स्पष्ट रूप से राज्यों को उन वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति या दोनों पर कोई कर/शुल्क लगाने से रोकता है, जहां आपूर्ति राज्य के बाहर होती है. 

अतिरिक्त शुल्क/कर गैरकानूनी

अनुच्छेद-287 और 288 केंद्र सरकार द्वारा उपभोग की जाने वाली या सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा उपभोग के लिए केंद्र सरकार को बेची जाने वाली बिजली की खपत या बिक्री पर कर लगाने से रोकता है. इस आदेश में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के मद्देनजर राज्य किसी भी स्रोत मसलन ताप, जल या नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन या उसकी अंतर-राज्य आपूर्ति पर अतिरिक्त शुल्क/कर नहीं लगा सकते हैं.

केंद्र का आदेश

केंद्र ने राज्यों से कहा है कि यदि उन्होंने इस तरह का कोई अतिरिक्त शुल्क लगाया है तो वे इसे तत्काल वापस लें. अप्रैल में मंत्रालय ने राज्यों से कहा था कि वे विशेषरूप से पनबिजली परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर किसी तरह का शुल्क या कर नहीं लगाएं.

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