World Dairy Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में विश्व डेयरी सम्मेलन-2022 का उद्घाटन करने वाले हैं. यह सम्मेलन इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित होने वाली है. इस बात की जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी. यह सम्मेलन 12 से 15 सितंबर तक चलने वाला है. इसे लेकर पुलिस, जिला प्रशासन व अन्य एजेंसियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. इस सम्मेलन में 40 देश भाग लेंगे. 

48 साल बाद विश्व डेयरी सम्मेलन की होगी मेजबानी

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भारत 48 साल बाद विश्व डेयरी सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इससे पहले आखिरी बार 1974 में देश ने अंतरराष्ट्रीय डेयरी कांग्रेस की मेजबानी की थी. सूत्रों ने कहा कि इसमें डेयरी उद्योग से जुड़ी नवीन तकनीक और प्रणाली को समझने का मौका मिलेगा. 

क्या है इस साल की थीम

बता दें कि इस साल विश्व डेयरी सम्मेलन-2022 की थीम - डेयरी फॉर न्यूट्रीशन एंड लाइवलीहुड है. 48 साल पहले जब सम्मेलन हुआ था तब भारत दुग्ध उत्पादों के लिए आयात पर निर्भर था. भारत अब दूध उत्पादों के मामले में आत्मनिर्भर बन चुका है. भारत की कोशिश है कि आने वाले वर्षों में दुग्ध उत्पादों का निर्यातक बने.

भारत में डेयरी क्षेत्र का होगा विकास

सम्मेलन में वैज्ञानिक, तकनीकी, व्यावसायिक और विपणन सत्र आयोजित किए जाएंगे. इसमें दुनियाभर के डेयरी विशेषज्ञ, नेता और संबंधित पक्ष डेयरी क्षेत्र के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. इसके जरिये भारत विकसित देशों से सबक लेकर दूध उत्पादकता में सुधार करेगा. 

उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. यह उपलब्धि लाखों छोटे और सीमांत डेयरी किसानों के माध्यम से हासिल की गई है. इनके लिए डेयरी एक आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत है. पिछले 50 साल में भारतीय डेयरी क्षेत्र बड़े परिवर्तन आए हैं. इस लिहाज से यह आयोजन महत्वपूर्ण है. 

40 देशों के 1500 प्रतिभागी लेंगे हिस्सा

विश्व डेयरी सम्मेलन में 40 देशों से करीब 1,500 प्रतिभागी भाग लेंगे. इसमें डेयरी प्रसंस्करण कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), डेयरी किसान, डेयरी उद्योग के आपूर्तिकर्ता, शिक्षाविद, सरकारी प्रतिनिधि आदि शामिल हैं. इसमें उद्यमी या कंपनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर सकेंगी.

भारत दुनिया का सबसे अधिक दूध उत्पादक देश है और यहां दुनिया के सबसे अधिक मवेशी हैं. भारत में छोटे डेयरी फॉर्म हैं जहां मालिक के पास तीन से पांच मवेशी हैं. जबकि विकसित देशों जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा आदि में बड़े फॉर्म हैं जहां औसतन 200-400 मवेशी होते हैं. यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब कई उत्पादक केंद्र मवेशियों की एलएसडी बीमारी का सामना कर रहे हैं. भारत अपना छोटे फॉर्म वाला अनूठा मॉडल इस सम्मेलन के माध्यम से दुनिया को दिखाना चाहता है.