प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण करने जा रहे हैं. गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के नजदीक भारत पहले उप प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. इस प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी बुधवार को करने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री देशवासियों को प्रतिमा के साथ एक और अनूठी सौगात देने जा रहे हैं और वह है गुजरात में 'फूलों की घाटी'. 

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'फूलों की घाटी' उत्तराखंड में है और इसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं. दुर्गम पहाड़ी रास्तों से करीब 15 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई के बाद सैलानी फूलों की घाटी देखने जाते हैं. गुजरात सरकार ने भी अपने यहां एक फूलों की घाटी विकसित करने का फैसला किया है. 

'फूलों की घाटी' के लिए राज्य सरकार ने 12 करोड़ रुपये का बजट भी मंजूर किया है, जिसमें से 6 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. इस घाटी को तैयार करने के लिए 3 करोड़ रुपये बीते साल खर्च किए गए और 3 करोड़ रुपये इस साल खर्च किए जा रहे हैं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 2003 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. इस परियोजना पर 2013-14 में काम शुरू हुआ था और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद फूलों की घाटी के निर्माण कार्य में तेजी आई थी. 

फूलों की घाटी के लिए नर्मदा के लिए गोरा गांव में वन विभाग की नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं और अब तक एक लाख से अधिक पौधे इस घाटी में लगाए जा चुके हैं तथा अन्य पौधे लगाने का काम तेजी से चल रहा है. फूलों की इस घाटी में रंग-बिरंगे फूलों की 100 से भी अधिक प्रजातियां लगाई गई हैं. 

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 

'आयरन मैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा तैयार करने के काम का श्रीगणेश गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल के जन्मदिवस 31 अक्टूबर, 2013 को किया था. एकता की प्रतिमा का निर्माण सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर किया गया है जो नर्मदा नदी पर एक टापू है. यह स्थान भरुच के निकट नर्मदा जिले में है.

यह विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है, जिसकी लम्बाई 182 मीटर (597 फीट) है. वर्तमान में विश्व की सबसे ऊंची मूर्ती 152 मीटर की चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध की है.

इस परियोजना की कुल लागत लगभग भारतीय 3,001 करोड़  रुपये रखी गई थी. बाद में लारसन एंड टर्बो ने अक्टूबर 2014 में सबसे कम 2,989 करोड़ रुपये की बोली लगाई. प्रतिमा का निर्माण कार्य का प्रारम्भ 31 अक्टूबर 2013 को प्रारम्भ हुआ और इस साल अक्टूबर में जाकर पूरा हुआ.

किसानों से लोहा इकट्ठा करवाया

गुजरात सरकार ने इस मूर्ति को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया. इसके लिए एक अभियान चलाया गया था. 7 अक्टूबर 2010 को यह अभियान चलाया गया था.

 सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने इस लोहा इकट्ठा करने के लिए पूरे भारत में 36 कार्यालय खोले. इस अभियान का नाम "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान" दिया गया. 3 महीने के अभियान में लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहा इकट्ठा किया गया.

शुरुआत में यह घोषणा की गई थी कि इकट्ठा किए गए लोहे का इस्तेमाल प्रतिमा बनाने में किया जायेगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में नहीं, बल्कि इस परियोजना से जुड़े अन्य कामों में इस्तेमाल किया गया. 

मूर्ति निर्माण के अभियान से "सुराज" प्रार्थना-पत्र बना जिसमें जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी. सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र बन गया. इसके अलावा 15 दिसम्बर, 2013 को एक "रन फॉर यूनिटी" नामक मैराथन का भी पूरे भारत में आयोजन हुआ था.