Pariksha Pe Charcha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, "...आप उस स्थान पर आए हैं, जहां भारत मंडपम के प्रारंभ में दुनिया के सभी बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने दो दिन बैठकर विश्व के भविष्य की चर्चा की थी. आज आप भारत के भविष्य की चिंता अपनी परीक्षाओं की चिंताओं के साथ-साथ करने वाले हैं. एक प्रकार से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम मेरे लिए भी परीक्षा होता है. आपमें से बहुत से लोग हैं जो हो सकता है मेरी परीक्षा लेना चाहते हों.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

परीक्षा पे चर्चा का ये सातवां एपिसोड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "परीक्षा पे चर्चा का ये सातवां एपिसोड है. ये प्रश्न हर बार आया है और अलग-अलग तरीके से आया है. इसका मतलब ये है कि सात सालों में सात अलग-अलग बैच इन परिस्थितियों से गुजरे हैं और हर नए बैच को भी इन्हीं समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. विद्यार्थियों के बैच बदलते हैं लेकिन शिक्षकों के बैच नहीं बदलते. यदि शिक्षकों ने मेरे अब तक के एपिसोड की बातों का कुछ न कुछ अपने स्कूल में संबोधन किया हो तो शायद हम इस समस्या को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं.

छात्रों के साथ 'परीक्षा पर चर्चा' करते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वयं को प्रेशर झेलने के लिए सामर्थ्यवान बनाना चाहिए. यह मानकर चलना चाहिए जीवन में दबाव तो बनता रहता है. प्रधानमंत्री ने छात्रों को पढ़ाई करने के साथ-साथ अच्छी नींद, संतुलित आहार  फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी प्रेरित किया।

चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री से पहला प्रश्न ओमान में भारतीय स्कूल की छात्रा डेन्या ने पूछा. दिल्ली के कक्षा 12 के छात्र अर्श व अन्य छात्रों ने पूछा कि सामाजिक अपेक्षाएं दबाव बनाती हैं और इन दबाव से कैसे बाहर निकल सकते हैं.

धीरे-धीरे बढ़ें आगे

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक दबाव वह होता है जो हमने खुद ही तैयार किया है, मसलन सुबह इतने बजे उठना ही उठना है, इतने प्रश्न हल करना ही हैं. हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए, जितना हमने आज किया अगले दिन उससे थोड़ा आगे बढ़कर करें. पीएम ने कहा कि दूसरा दबाव माता-पिता उत्पन्न करते हैं यह क्यों नहीं किया, वह क्यों नहीं किया, क्यों सोते रहे, जल्दी उठो, पता नहीं एग्जाम है. दोस्तों से तुलना करते हैं, कहते हैं सहपाठी को देखो वह कितना अच्छा कर रहा है. तीसरा दबाव ऐसा होता है जिसके कारण कुछ नहीं है, बस समझ का अभाव है. बिना कारण किसी चीज को संकट मान लेते हैं.

शिक्षकों और छात्र मिलकर निकाले हल

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन समस्याओं को पूरे परिवार, शिक्षकों और छात्र सबको मिलकर हल करना होगा. ऐसा नहीं है कि अकेले छात्र इससे निपट सकते हैं. आपसी चर्चा और समन्वय से इन चीजों को दूर किया जा सकता है. कुछ छात्रों व अभिभावकों ने छात्रों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण से उत्पन्न होते तनाव पर प्रश्न पूछे. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि जीवन में प्रतिस्पर्धा न हो तो तो फिर जीवन बहुत ही प्रेरणा हीन और चेतनाहीन बन जाएगा. लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. कभी-कभी खराब प्रवृत्ति का यह बीज पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है. दो भाइयों या दो बहनों में विकृत स्पर्धा का भाव बो दिया जाता है. यह आगे चलकर यह बीज परिवारों में एक जहरीला वृक्ष बन जाता है.

किसी से अपनी तुलना न करें

वहीं दोस्तों के साथ प्रतिस्पर्धा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि आपका दोस्त 90 अंक ले गया है तो ऐसा तो नहीं कि आपके लिए केवल 10 अंक बचे हैं. उन्होंने कहा कि आपके लिए भी 100 अंक है, आपको सकारात्मक के साथ सोचना है कि मैं भी 100 में से कितने अंक ला सकता हूं. प्रतिभावान दोस्त प्रेरणा का स्रोत होते हैं, कभी भी खराब भाव अपने मन में नहीं आने देना चाहिए. उन्होंने माता-पिता से भी अपील की कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरे छात्रों से न करें. शिक्षकों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि वे कैसे छात्रों को प्रेरित कर सकते हैं. प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि जिस दिन शिक्षक सिलेबस से आगे निकल कर, छात्रों से नाता जोड़ेंगे तो छात्र आपसे खुलकर बात करेगा और परीक्षा के दौरान तनाव की स्थिति उत्पन्न ही नहीं होगी. शिक्षक का काम नौकरी करना नहीं है, बल्कि शिक्षक का कार्य जिंदगियों को संवारना है.

हर दिन लिखने का करें अभ्यास

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई छात्र परीक्षा के दिन किताब पढ़ना नहीं छोड़ते है. प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को परीक्षा केंद्र में सहज भाव से जाना चाहिए. गहरी सांस लेकर प्रसन्न भाव से पूरा प्रश्न पत्र पढ़ लीजिए और इस दौरान अपनी गणना कर लेनी चाहिए कि पहले कौन से प्रश्न करने हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि आजकल लिखने की आदत कम हो गई है. छात्रों को प्रतिदिन लिखने का नियमित अभ्यास करना चाहिए ताकि परीक्षा में लिखते समय उन्हें समस्या न आए.

 

बच्चों को पीएम ने दी प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आपके दोस्त से आपको किस चीज की स्पर्धा है? मान लीजिए 100 नंबर का पेपर है. आपका दोस्त अगर 90 नंबर ले आया तो क्या आपके लिए 10 नंबर बचे? आपके लिए भी 100 नंबर हैं. आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी है आपको खुद से स्पर्धा करनी है... उससे द्वेष करने की जरूरत नहीं है. असल में वो आपके लिए प्रेरणा बन सकता है. अगर यही मानसिकता रही तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त ही नहीं बनाएंगे..."