नोटबंदी के बाद भक्‍तों ने भगवान से भी छल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बैंकों में पुराने 500-1000 रुपये के नोट जमा करवाने की बजाए माता वैष्‍णो देवी के मंदिर में भक्‍तों ने नवंबर 2016 और 9 दिसंबर 2018 के बीच 1.90 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित 500-1000 रुपये के नोट चढ़ा डाले. इसी प्रकार 31 दिसंबर 2016 से लेकर अबतक भक्‍तों ने 40 लाख रुपये मूल्‍य के डिमोनेटाइज्‍ड नोट चढ़ाए हैं.

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RBI ने भी स्‍वीकार करने से किया इनकार

हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की एक रिपोर्ट में श्री माता वैष्‍णो देवी श्राइन बोर्ड के चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव ऑफिसर सिमरनदीप सिंह के हवाले से कहा गया है कि दान में कोई कमी नहीं आई है. हालांकि, कुछ भक्‍त अब भी डिमोनेटाइज्‍ड मुद्राओं का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पुराने 500-1000 रुपये के नोटों को स्‍वीकार करने से इनकार कर दिया क्‍योंकि इनका अब कोई महत्‍व नहीं है. हमारे लिए अब यह बिना मतलब की चीज है, इसे उपयुक्‍त तरीके से समाप्‍त कर दिया जाएगा.

डिमोनेटाइजेशन और GST का भक्‍तों के दान पर नहीं हुआ असर

डिमोनेटाइजेशन और वस्‍तु एवं सेवा कर का माता वैष्‍णो देवी के भक्‍तों की भावनाओं पर कोई असर नहीं हुआ. आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्‍थलम के बाद भारत का दूसरा सबसे धनी तीर्थस्‍थान माता वैष्‍णो देवी है. 2018 में भक्‍तों ने यहां 164 करोड़ रुपये चढ़ाए जिनमें से एक करोड़ रुपये 31 दिसंबर 2018 और 1 जनवरी 2019 को चढ़ाए गए.