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टिड्डी दल के अटैक को लेकर यूपी में अलर्ट, किसान ऐसे बचाएं अपनी फसल

पाकिस्तान से उड़ा टिड्डियों का दल गुजरात, राजस्थान के रास्ते उत्तर प्रदेश में एंट्री करने लगा है. फसलों पर टिड्डी के खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है. शासन ने सभी जिलाधिकारियों और कृषि निदेशकों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं.
Updated on: May 25, 2020, 03.46 PM IST
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जयपुर में टिड्डी अटैक

रविवार को टिड्डियों का एक बड़ा दल राजस्थान के जयपुर की तरफ पहुंचा. यहां इसने बड़े पैमाने पर फसलों को चौपट कर डाला. 

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अधिकारियों को अलर्ट

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (कृषि) डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने सभी जिलों जिलाधिकारी और कृषि निदेशकों भेजे पत्र में लिखा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में टिड्डी (Locust) दल के प्रकोप को देखते हुए इसकी लगातार निगरानी रखने की जरूरत है. 

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कमेटियों का गठन

शासन ने इसके लिए कृषि निदेशालय स्तर पर एक आपदा राहत दल का गठन किया है. इस दल के मुखिया उप-कृषि निदेशक रहेंगे और सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) इसके सदस्य होंगे. इसी तरह जिला स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अगुवाई में कमेटी का गठन किया गया है. 

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यूपी में एंट्री

ललितपुर और झांसी में टिड्डी दल प्रवेश कर चुके हैं. अब ये आगरा की तरफ बढ़ रहे हैं. जिन इलाकों में यह दल बढ़ रहा है, वहां किसानों को अलर्ट कर दिया गया है. केमिकल के छिड़काव के लिए टेंकर तैनात कर दिए गए हैं. 

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Orthoptera ग्रुप

टिड्डी दल, उसके हमले और उससे बचाव के बारे में गौतमबुद्ध नगर के कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. मयंक राय बताते हैं कि वैज्ञानिकों ने टिड्डी को कीटों के Orthoptera ग्रुप में रखा है. टिड्डी के लिए पाकिस्तान और गुजरात से लगा हुआ इलाका काफी मुफीद है. यह इलाका रात में ठंडा हो जाता है. इसलिए यह एरिया टिड्टी के प्रजनन का प्रमुख सेंटर बना हुआ है. 

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एक बार 40-50 अंडे

डॉ. मयंक राय बताते हैं कि मादा टिड्डी एक बार 40-50 अंडे देते है और यह लगातार 2-3 दिन अंडे देती है. इन अंडों से निम्फ (टिड्डी के बच्चे) निकलते हैं. इलाके और क्लाइमेंट के हिसाब से ये रंग धारण कर लेते हैं. 

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रंग बदलते रहते हैं

डॉ. राय बताते हैं कि टिड्टी का बच्चा गुलाबी रंग का होता है. जैसे-जैसे यह बढ़ता है, इसका रंग धुंधले सलेटी या भूरापन लिए लाल हो जाता है. जवान होने पर यह पीले रंग का हो जाता है.

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पीले रंग पर रखें नजर

आने वाले टिड्डी दल का रंग गुलाबी और पीला होता है. पीले रंग की टिड्डी ही अंडा देती है. इसलिए जहां इसका पड़ाव होता है वहां अलर्ट रहने की जरूरत होती है. क्योंकि पड़ाव शुरू होते ही ये अंडा देने लगती है. एक पड़ाव में टिड्डी दल 3-4 दिन रहता है. उड़ता नहीं है. इसलिए पड़ाव के समय ही इसके खत्म करने का इंतजाम करना चाहिए. 

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फसल को नुकसान

निम्फ 15-20 दिन में जवान टिड्डा बन जाता है. निम्फ छलांग लगाता है, जबकि टिड्डे उड़ते हैं. लाखों की संख्या की उड़ते हुए टिड्डी हरी पत्तियों पर बैठते हैं और कुतर-कुतर कर हरी पत्तियों का खाते हैं. एक टिड्डी अपने वजन का हर पत्ता खा लेती है. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को खाकर नुकसान पहुंचाती हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठती हैं तो इनके वजन से पेड़ तक टूट जाते हैं.

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रात में करता है नुकसान

टिड्डियों का दल दिन में गर्म हवा के साथ-साथ आगे बढ़ता रहता है और शाम होने पर पेड़ों पर, झाड़ी या फसलों पर अपना बसेरा करते हैं. इस दौरान टिड्डी हरे पत्तों को अपना भोजन बनाते हैं. चूंकि ये करोड़ों की तादाद में होते हैं, इसलिए इलाके की पूरी फसल को थोड़े ही समय में चट कर देते हैं.   

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ऐसे करें बचाव

डॉ. राय के मुताबिक, फिरपोनिल 5 एससी-125 मिली लीटर की मात्रा एक हेक्टेयर खेत की फसल पर छिड़काव करें. या मेलाथियान 50 ईसी की मात्रा 1.8 लीटर प्रति हेक्टयर या फैनीट्रोथियन 50 ईसी- 200-400 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर या फिर मेटआराईजीएम फफूंदी ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से कोई नुकसान नहीं होगा.