Petrol-Diesel Price: पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से आम आदमी को जल्द बड़ी राहत मिल सकती है. अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चा तेल (Crude Oil) की कीमतें गिरकर 6 महीन के निचले स्तर पर आ गई है. बुधवार को ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) का भाव 4% लुढ़ककर 96.78 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. यह फरवरी 21 के बाद सबसे निचला स्तर है. इस बीच OPEC+ की सितंबर से 1 लाख बैरल रोजाना तेल बढ़ाने पर सहमति बनी है. वहीं अमेरिकी आंकड़ों से पता चला है कि पिछले हफ्ते क्रूड ऑयल और गैसोलीन के भंडार में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है. सप्लाई बढ़ने से क्रूड की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है. इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता होगा. तेल के सस्ता होने से भारत में Petrol और  Diesel सस्ते हो सकते हैं.

3 महीने में 18% टूटा कच्चा तेल

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IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च-कमोडिटीज) अनुज गुप्ता का कहना है कि हमने देखा है कि पिछले 3 महीने में MCX  पर क्रूड ऑयल की कीमतों में करीब 18% की गिरावट आई है. Brend Crude में 18 फीसदी की गिरावट आई है और यह 96.69 डॉलर प्रति बैरल ट्रेड कर रहा है. बता दें कि इस साल मार्च में ब्रेंट क्रूड 138 डॉलर प्रति बैरल का के हाई पर पहुंचा था और स्पॉट मार्केट में डब्ल्यूटीआई (WTI) मार्च 2022 में 126.34 डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था.

3 से 5 रुपये तक सस्ते हो सकते हैं Petrol-Diesel

उन्होंने कहा, कच्चे तेल की कीमतों में यह करेक्शन उन अर्थव्यवस्थाओं के लिए अच्छा है जो भारत की तरह ही कच्चे तेल का आयात कर रही हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत में जल्द ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें 3 से 5 रुपये तक कम हो सकती हैं. 

महंगाई को कंट्रोल करने में मिलेगी मदद

अनुज गुप्ता का कहना है कि महंगाई भी नियंत्रण में है क्योंकि पिछले दो महीनों में मानसून में सुधार के कारण एग्री कमोडिटी की कीमतें निचले स्तर से नीचे आ गई हैं. उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कच्चे तेल की कम कीमतें भी अच्छी होंगी. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा और आगामी त्योहारी सीजन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. हमारे विचार में अर्थव्यवस्था पर ओवरऑल आउटलुक पॉजिटिव है और हम भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं.

रोजाना 1 लाख बैरल बढ़ेगा प्रोडक्शन

OPEC+ देशों की हुई बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है. ओपेके प्लस ने सितंबर से रोजाना 1 लाख बैरल तेल उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है. डिमांड घटने और सप्लाई बढ़ने का असर कीमतों पर पड़ेगा.