किसानों की आमदनी (Farmers' Income) बढ़ाने में नई और उन्नत तकनीकों का अहम योगदान है. और अब ज़माना जैविक खेती का है. जैविक खेती से किसानों के लिए कमाई के नए आयाम खुल रहे हैं. इस कड़ी में पतंजलि बायो रिसर्च (Patanjali Bio Research) अब किसानों के बीच जैविक और उन्नत खेती को बढ़ावा देगी. साथ ही किसानों को उन्नत किस्म के बीज मुहैया कराने का काम भी पतजंलि द्वारा किया जाएगा. 

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बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की पतंजलि आयुर्वेदिक, औषधि और उपभोक्ता वस्तुओं के कारोबार में दबदबा कायम करने के बाद अब किसानों को उन्नत नस्ल के बीज मुहैया करवाकर खेती व किसानी के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ेगी. इस सिलसिले में पतंजलि बायो रिसर्च इंस्टीट्यूट (PBRI) ने देश की शीर्ष अनुसंधान संगठन राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) के साथ एक समझौता किया है.

पतंजलि आयुर्वेद के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण और आईसीएआर (ICAR) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. इस मौके पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और आईसीएआर के अंतर्गत आने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अधिकारी मौजूद थे.

जैविक कृषि में पतंजलि के कार्यों की सराहना करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि आईसीएआर और पतंजलि के बीच इस समझौते से एक दूसरे के सहयोग से आम किसानों के हित में काम करेंगे और आईसीएआर के अनुसंधान का आम किसानों को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि पतंजलि के सहयोग से जैविक खेती का देशभर में प्रसार होगा.

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ पतंजलि रिसर्च का आज एक एमओयू हुआ है, जिससे कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ेगा. पतंजलि रिसर्च ने थोड़े ही कार्यकाल में पांच से अधिक रिसर्च पेटेंट किए हैं. हम पूरी दुनिया में कृषि उत्पादों को पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं.

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बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि के माध्यम से किसानों को उन्नत नस्ल के बीच भी मुहैया करवाए जाएंगे.

आईसीएआर के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने कहा, "आज के दौर में आवश्यक काफी प्रौद्योगिकी हमारे पास है. जैविक खेती के लिए हमने 51 पद्धतियां बनाई हैं और एकीकृत खेती पद्धति भी 50 से अधिक है. बायोफोर्टिफाइड क्रॉप वेरायटी हमारे पास 52 हैं और बन रहे हैं जो कुपोषण दूर करने में कामयाब साबित होगा. इसी तरह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमारे पास प्रौद्योगिकी है."