Online Gaming पर इस महीने के अंत तक आ जाएगा नोटिफिकेशन, फेक न्यूज और डेटा प्रोटेक्शन बिल पर भी आया बड़ा अपडेट
Online Gaming, DPDP Notification: सरकार ऑनलाइन गेमिंग और डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पर इस महीने के अंत तक नोटिफिकेशन लेकर आने वाली है.
Online Gaming, DPDP Notification: सरकार ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) और डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) पर इस महीने के अंत तक नोटिफिकेशन लेकर आ जाएगी. केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार की ऑफिशियल इंफॉर्मेशन यूनिट PIB को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज (Fake News) की निगरानी का अधिकार दिए जाने के प्रस्ताव पर अगले महीने सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की जाएगी.
ऑनलाइन गेमिंग को लेकर आएगा नोटिफिकेशन
चंद्रशेखर ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) के रेगुलेशन के लिए नियम 31 जनवरी तक अधिसूचित कर दिए जाएंगे. उसके बाद इसे संसद की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP Act) को लेकर विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी हो गई है. अब इसे अधिसूचना जारी करने के लिहाज से तैयार किया जा रहा है.
फेक न्यूज पर लगाम लगाने की तैयारी
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री चंद्रशेखर ने 'पत्र सूचना कार्यालय' (PIB) को सोशल मीडिया पर खबरों की तथ्यपरकता परखने के लिए सशक्त किए जाने के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हम अगले महीने की शुरुआत में इसपर अलग से चर्चा करेंगे."
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मिनिस्ट्री ने पिछले हफ्ते सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन का एक प्रारूप जारी किया था. इसमें सोशल मीडिया पर गलत, फर्जी या भ्रामक सामग्री की पहचान का जिम्मा PIB या किसी अन्य सरकारी एजेंसी को देने का जिक्र है. इसे ऑनलाइन मीडिया के एक हिस्से ने सरकारी नियंत्रण की कोशिश बताया है.
PIB को दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी
प्रस्तावित संशोधन में सोशल मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि इस तरह की सामग्री को अपलोड या प्रसारित न किया जाए जिसे PIB की तथ्य पड़ताल इकाई ने फर्जी या गलत पाया है. PIB की इस इकाई को अपने पोर्टल पर आम लोगों से भेजी गई शिकायतों के आधार पर या स्वतः संज्ञान लेकर संदिग्ध सामग्री की सचाई पता करनी होगी.
हालांकि, संपादकों की शीर्ष संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान में इस प्रस्ताव पर गहरी चिंता जताई है. गिल्ड ने कहा कि फर्जी खबरों का निर्धारण सिर्फ सरकार के हाथ में नहीं सौंपा जा सकता है क्योंकि इसका नतीजा प्रेस को सेंसर करने के रूप में निकलेगा.