Non-operational coal mines: सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को ऑपरेट नहीं हो रहीं कोयला खदानें किसी जुर्माने के बगैर वापस करने के छूट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की शुक्रवार को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. बयान के मुताबिक, सीसीईए ने केंद्र और राज्य सरकारों के उपक्रमों को ऑपरेट नहीं हो रही खदानों को किसी जुर्माने के बगैर लौटाने के कोयला मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है.

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तीन महीने का दिया गया वक्त

इसके लिए सार्वजनिक उपक्रमों को न तो कोई कारण बताना होगा और न ही उनकी बैंक गारंटी जब्त की जाएगी. यह सुविधा एकबारगी दी गयी है. सरकार के इस फैसले से उन कोयला खदानों पर सरकारी नियंत्रण खत्म हो जाएगा जिनको ऑपरेट करने में सरकारी कंपनियां या तो इच्छुक नहीं हैं या वे इनका विकास कर पाने की स्थिति में नहीं हैं.

इन खदानों को लौटाने के बाद सरकार की मौजूदा नीलामी नीति के तहत बेचा जा सकता है. कोयला मंत्रालय के मुताबिक, सरकारी कंपनियां यह फैसला लागू होने के तीन महीने के भीतर निष्क्रिय कोयला खदानों को लौटा सकती हैं. 

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2014 में हुआ था कोल ब्लॉक का आवंटन

साल 2014 में कोयला ब्लॉक का आवंटन रद्द किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने थर्मल बिजली प्लांट्स को कोयला सप्लाई एनश्योर करने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को कई खदानें आवंटित कर दी थी. इस व्यवस्था के तहत आवंटित की गईं 73 कोयला खदानों में से 45 खदानों में अब तक परिचालन नहीं शुरू हो पाया है और 19 खदानों में खनन कार्य शुरू होने की तय तारीख पहले ही बीत चुकी है. इस देरी के लिए काफी हद तक कानून-व्यवस्था और भूमि अधिग्रहण का विरोध जैसे कारण जिम्मेदार रहे हैं.

मंत्रालय ने कहा, "इस मंजूरी के तहत अच्छी गुणवत्ता वाले कोयला भंडारों को तकनीकी समस्याएं दूर कर फिर से चालू किया जा सकता है. इस कोयले को हाल ही में स्वीकृत वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी नीति के तहत इच्छुक पक्षों को सौंपा जा सकता है." कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोयला खदानों में जल्द परिचालन शुरू होने से रोजगार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा और पिछले इलाकों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी. इसके अलावा कोयले के आयात में कटौती का रास्ता भी साफ होगा.