One Nation One Fertilizer: किसानों के लिए खुशखबरी, अक्टूबर से 'भारत' नाम से बिकेंगे सभी खाद, अब नहीं होगी यूरिया की किल्लत
One Nation One Fertilizer: अक्टूबर महीने से पूरे देश में यूरिया और DAP सिंगल ब्रांड 'भारत' के नाम से बेचे जाएंगे. वन नेशन वन फर्टिलाइजर से किसानों को तेजी से खाद की डिलीवरी सम्भव हो सकेगी और साथ ही सब्सिडी पर होने वाले खर्च में भी बचत होगी.
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One Nation One Fertilizer: अक्टूबर महीने से सब्सिडी रेट पर मिलने वाले यूरिया और DAP सिंगल ब्रांड 'भारत' के नाम से बेचे जाएंगे. सरकार ने पूरे देश में वन नेशन वन फर्टिलाइजर को लागू किया है. इस फैसले से किसानों को मदद मिलेगी और खेती के लिए यूरिया और डीएपी की कमी नहीं होगी. इससे मालढुलाई सब्सिडी की लागत भी कम होगी. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने प्रधानमंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना (PMBJP) के तहत 'एक राष्ट्र एक उर्वरक' पहल की शुरुआत भी की. मांडविया ने कहा कि अक्टूबर से सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों को 'भारत' ब्रांड के तहत ही बेचा जा सकेगा.
दो तिहाई हिस्से पर केवल भारत ब्रांड लिखा होगा
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उर्वरक कंपनियां बोरी के एक-तिहाई हिस्से पर अपना नाम, ब्रांड, लोगो और अन्य जरूरी सूचनाएं दे सकेंगी. लेकिन उर्वरक की बोरी के दो-तिहाई हिस्से पर भारत ब्रांड (Bharat) और PMBJP का लोगो लगाना होगा. भले ही यह व्यवस्था अक्टूबर से शुरू हो जाएगी, लेकिन उर्वरक कंपनियों को अपना मौजूदा स्टॉक बेचने के लिए दिसंबर के अंत तक का समय दिया गया है.
वन नेशन, वन फर्टिलाइजर से किसानों को तेजी से खाद की डिलीवरी सम्भव हो सकेगी और साथ ही सब्सिडी पर होने वाले खर्च में भी बचत होगी। pic.twitter.com/0m3aTfFICO
— Office of Dr Mansukh Mandaviya (@OfficeOf_MM) August 28, 2022
2.25 लाख करोड़ तक सब्सिडी पहुंचने का अनुमान
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सरकार ने पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 1.62 लाख करोड़ रुपए की उर्वरक सब्सिडी दी थी. पिछले पांच महीनों में उर्वरकों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में सरकार पर उर्वरक सब्सिडी का बोझ बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपए हो जाने की आशंका जताई गई है.
यूरिया पर 55 फीसदी सब्सिडी देती है सरकार
मांडविया ने भारत ब्रांड के तहत सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों की बिक्री किए जाने के पीछे की वजह बताते हुए कहा, ‘‘सरकार यूरिया के खुदरा मूल्य के 80 फीसदी की सब्सिडी देती है. इसी तरह डीएपी की कीमत का 65 फीसदी, एनपीके की कीमत का 55 फीसदी और पोटाश की कीमत का 31 फीसदी सरकार सब्सिडी के तौर पर देती है. इसके अलावा उर्वरकों की ढुलाई पर भी सालाना 6,000-9,000 करोड़ रुपए लग जाते हैं.’’
किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाता है
उन्होंने कहा कि फिलहाल कंपनियां अलग-अलग नाम से ये उर्वरक बेचती हैं, लेकिन इन्हें एक से दूसरे राज्य में भेजने पर न सिर्फ ढुलाई लागत बढ़ती है, बल्कि किसानों को समय पर उपलब्ध कराने में भी समस्या आती है. इसी परेशानी को दूर करने के लिए अब एक ब्रांड के तहत सब्सिडी वाली उर्वरक बनाई जाएगी.
03:30 PM IST