One Nation, One Election पर जेपीसी का गठन! प्रियंका गांधी से लेकर अनुराग ठाकुर तक, ये 31 लोग शामिल...जानें पूरा मामला
One Nation, One Election पर जेपीसी का गठन किया गया है. इस समिति में 31 लोगों को शामिल किया गया है. जानिए क्या है इस संयुक्त संसदीय समिति का मकसद.
प्रस्तावित 'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक की समीक्षा के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है. इस समिति में 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं. जेपी सांसद पीपी चौधरी इस जेपीसी के अध्यक्ष होंगे. ये कमेटी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता और रूपरेखा पर गहन विचार करेगी और तमाम पहलुओं को देखने के बाद समिति पक्ष-विपक्ष और विशेषज्ञों से चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
कौन-कौन हैं इस समिति का हिस्सा
समिति में जिन लोकसभा के 21 सांसदों को शामिल किया गया है उनमें पी.पी चौधरी, डॉ. सी.एम रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तमभाई रूपाला, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, भर्तृहरि महताब, डॉ. संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, कल्याण बनर्जी, टी.एम. सेल्वगणपति, जी.एम. हरीश बालयोगी, सुप्रिया सुले, डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे, चंदन चौहान और बालाशोवरी वल्लभनेनी शामिल हैं. इनके अलावा 10 सदस्य राज्यसभा से हैं.
जानिए क्या है पूरा मामला
बता दें कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया था. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को पटल पर रखा, जिसका विपक्ष ने जमकर विरोध किया. 'वन नेशन, वन इलेक्शन’' को लेकर सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक डिविजन हुआ. इस बिल के पक्ष में 220 सांसदों ने वोटिंग की तो 149 सांसदों ने इसका विरोध किया. हालांकि, बाद में फिर से मत विभाजन की प्रक्रिया की गई. दोबारा से मतविभाजन में पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. इसके बाद मोदी सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया. सरकार की सिफारिश पर जेपीसी का गठन हो गया, जिसकी कमान भाजपा सांसद पीपी चौधरी को सौंपी गई. पीपी चौधरी जेपीसी के चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं.
क्या है वन नेशन, वन इलेक्शन का मकसद
दरअसल, 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराए जाए, यानी वोटर्स लोकसभा और विधानसभाओं के के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन में अपना वोट डालेंगे. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि श में बार-बार चुनाव होने से काम अटकता है. क्योंकि चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है. जिससे परियोजनाओं में देरी होती है और विकास कार्य प्रभावित होते हैं. अगर चुनाव एक साथ होंगे तो कामकाज आसान हो जाएगा. इसके अलावा एक साथ चुनाव होने से लागत भी कम होगी और जो पैसे बचेंगे, देश के विकास कार्यों में उनका इस्तेमाल किया जा सकेगा.