कैंसर पीडि़तों के लिए राहत की खबर, 42 नॉन-शेड्यूल्ड दवाइयां प्राइस कंट्रोल के दायरे में आईं
सरकार ने कैंसर के इलाज में काम आने वाली गैर-अनुसूचित (नॉन-शेड्यूल्ड) 42 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का फैसला किया है.
कैंसर पीडि़तों और उनके परिवार के लोगों के लिए राहत की खबर है. सरकार ने कैंसर के इलाज में काम आने वाली गैर-अनुसूचित (नॉन-शेड्यूल्ड) 42 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का फैसला किया है. इसमें व्यापार मार्जिन 30 प्रतिशत पर नियत किया गया है. डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स ने इसके लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है.
NPPA ने लिया यह फैसला
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने कीमत नियंत्रण आदेश, 2013 के पैरा 19 के तहत जनहित में असाधारण शक्तियों का उपयोग कर कैंसर के इलाज में उपयोग गैर-अनुसूचित 42 कैंसर दवाओं को व्यापार मार्जिन युक्तिसंगत बनाकर मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने का फैसला किया है.
औषधि विभाग ने खुदरा मूल्य तय करने को कहा
औषधि विभाग ने एक अधिसूचना में कहा है कि इसके तहत सरकार 42 गैर-अनुसूचित दवाओं के व्यापार मार्जिन को 30 प्रतिशत पर नियत करती है और विनिर्माताओं को उत्पाद की पहले बिक्री बिंदु के आधार पर खुदरा मूल्य तय करने को कहा गया है.
105 ब्रांड्स के एमआरपी 85 फीसदी घटेंगे
एनपीपीए के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इससे 105 ब्रांड के एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) 85 प्रतिशत कम होंगे. इससे ग्राहकों को 105 करोड़ रुपये की अच्छी-खासी बचत होगी. फिलहाल अनुसूचित श्रेणी के तहत कैंसर के इलाज में उपयोग 57 दवाएं कीमत नियंत्रण दायरे में हैं.
फार्मा कंपनियों को दिया गया एक हफ्ते का वक्त
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि NPPA के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार, इससे 72 फॉर्म्यूलेशंस और लगभग 355 ब्रांड्स कवर होंगे. इस सूची को अंतिम रूप देने के लिए हॉस्पिटल्स और फार्मा कंपनियों से और आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. फार्मा कंपनियों को कीमतों को दोबारा कैलकुलेट करने और उनकी जानकारी NPPA, राज्यों के ड्रग कंट्रोलर, स्टॉकिस्ट्स और रिटेलर्स को देने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है.
8 मार्च से लागू होंगी नई कीमतें
नई कीमतें 8 मार्च से लागू होंगी. NPPA अभी नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन्स (NLEM) में मौजूद दवाओं की कीमतें तय करती है. अभी तक लगभग 1 हजार दवाओं को प्राइस कंट्रोल के तहत लाया गया है. नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं के लिए प्रत्येक वर्ष 10 पर्सेंट तक कीमत बढ़ाने की अनुमति है. इसकी निगरानी NPPA करती है.