मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के लिए अच्छी खबर है. भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ड्रोन स्टेशन बनाया गया है, जहां से ग्रामीण इलाकों तक ड्रोन के माध्यम से दवाएं पहुंचाई जाएंगी. इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने दी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किया उद्घाटन मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इंदौर के जीपीओ चौराहे पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) उप क्षेत्रीय कार्यालय और केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. साथ ही वर्चुअल रूप से एम्स भोपाल में पांच आधुनिक सुविधाओं का लोकार्पण किया. इनमें सबसे प्रमुख ट्रॉमा और इमरजेंसी ऑपरेशन थियेटर कॉम्प्लेक्स, ड्रोन स्टेशन है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों तक दवाइयां पहुंचाई जा सकेंगी. ब्लड और ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन भी किया जा सकेगा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि यह स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा परिवर्तन है. ड्रोन के माध्यम से हम न केवल दूरस्थ क्षेत्रों तक दवाइयां पहुंचा सकेंगे, आपातकालीन स्थिति में रक्त पहुंचना, ब्लड सैंपल लेना एवं ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन भी किया जा सकेगा.  ड्रोन से दवा भेजने का प्रायोगिक तौर पर सफल परीक्षण भी किया जा चुका है. आमतौर पर 60 किमी दूर जाने में एक से दो घंटे के समय की बचत आसानी से की जा सकेगी. ड्रोन के जरिए महज 30 मिनट से एक घंटे के बीच दवा को संबंधित स्थान तक भेजा जा सकेगा. ऋषिकेश एम्स से सबसे पहले भेजी गई दवाइयां उत्तराखंड में पहले से ही शुरू हो चुकी है सेवा ड्रोन के जरिए ऋषिकेश एम्स से दवा भेजने के शुरुआत की गई थी. इसके जरिए उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में दवाइयां भेजी जाती है. उत्तराखंड के कई इलाकों में ड्रोन की मदद से जरूरतमंद तक दवाइयां पहुंचाई जा रही है. ऋषिकेश के एम्स से सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में दवाइयां भेजने की शुरुआत की गई है. इसकी शुरुआत 16 फरवरी, 2023 को की गई थी.सबसे पहले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में टीबी की दवा भेजी गई. जिसका वीडियो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शेयर किया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "ड्रोन का उपयोग कर स्वास्थ्य सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव.