बंबई हाईकोर्ट ने कोटक महिंद्रा बैंक के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी घटाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय समय सीमा बढ़ाने के अनुरोध वाली अर्जी सोमवार को खारिज कर दी. रिजर्व बैंक ने बैंक को इसके लिए 31 दिसंबर 2018 तक का समय दिया है. लेकिन न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी और एसवी कोतवाल की खंडपीठ ने बैंक द्वारा हिस्सेदारी घटाने के नियमों के खिलाफ दायर याचिका पर रिजर्व बैंक को 17 जनवरी 2019 तक हलफनामा दायर करने को कहा है. 

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कोटक ने पिछले हफ्ते अदालत में रिजर्व बैंक के 13 अगस्त 2018 के एक पत्र को चुनौती दी थी. इसमें रिजर्व बैंक ने कोटक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी को 31 दिसंबर 2018 तक बैंक की मतदान के अधिकार वाली चुकता शेयर पूंजी के 20 प्रतिशत और 31 मार्च 2020 तक 15 प्रतिशत के स्तर तक लाने के निर्देश दिए थे.

कोटक के वकील ने दारियस खंबाटा ने अदालत में सोमवार को कहा कि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी को कम किए जाने का काम कुछ साल से जारी है. खंबाटा ने कहा, 'पहले रिजर्व बैंक ने केवल चुकता पूंजी में प्रवर्तकों की शेयरधारिता कम करने के लिए कहा था. लेकिन बाद में पत्र के माध्यम से मतदान के अधिकार वाली चुकता शेयर पूंजी में शेयरधारिता कम करने के लिए कहा.' 

उन्होंने कहा कि यह पत्र प्राप्त होने के बाद बैंक ने चार और 24 सितंबर को रिजर्व बैंक को दो पत्र लिखकर इस पर स्पष्टीकरणम मांगा. खंबाटा ने कहा कि इस पर केंद्रीय बैंक की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. अब हम बस इतना चाह रहे हैं कि नए गवर्नर इस मामले पर नए सिरे से विचार करें और तब तक के लिए 31 दिसंबर की समयसीमा को बढ़ाया जाए.

रिजर्व बैंक की ओर से पेश वकील वेंकटेश ढोंड और पराग शर्मा ने इस याचिका विरोध किया. उन्होंने कारण बताया कि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी को कम कराने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी एक समूह के हाथ में मतदान का अधिकार नहीं हो.

एजेंसी इनपुट के साथ